कौशल सिखौला : अमेरिका यात्रा का उद्देश्य क्या.. हिम्मत न तो भारत के किसी विपक्षी नेता में है और न…
चीन ने अपने प्रांत युन्नान में एक हजार वर्ष पुरानी मस्जिद तोड़ दी !
2017 से लेकर 2020 तक जिनपिंग ने पूरे देश में 8500 मस्जिदें तोड़ दी हैं !
सुधारवाद के नाम पर हर साल हजारों मुसलमानों को सुधार गृहों में रक्खा जाता है !
मुस्लिम बहू बेटियों को जिस प्रकार बर्बरता अपनाते हुए जबरन चीनी युवकों के हवाले किया जा रहा है , वह मानवता को शर्मसार करने वाला है !

अफसोस की बात है कि भारत को कश्मीर पर दिन रात गरियाने वाले पाकिस्तान , तुर्की और इस्लामिक देशों के होंठ सिल गए हैं !
भारत में सर तन से जुदा करने वालों की जुबान बंद है , जिनपिंग जैसे क्रूर तानाशाह के खिलाफ़ एक शब्द भी बोलने की हिम्मत न तो भारत के किसी विपक्षी नेता में है और न वामपंथियों में !
हालांकि मुस्लिम वोटों पर सबसे बड़ा हक इन्हीं देशों का है !
अब दूसरा सीन देखिए । आपको पता है राहुल की अमेरिका यात्रा का उद्देश्य क्या है ? केवल एक है । विदेश की धरती पर जितना भी हो सकें , मोदी को गालियां देते रहें । भारत सरकार की जितनी भी आलोचना की जा सकती हैं , करें । तीन दिन से यही हो रहा है । उन्हें लगता है कि इसी महीने होने वाली मोदी की आधिकारिक अमेरिका यात्रा से पूर्व वे देश और मोदी को जितना बदनाम कर सकते हैं करें।
वे अपनी सरकार को कभी डोकलाम पर घेरते हैं , कभी गलवान पर । लेकिन चीन के खिलाफ एक लफ्ज़ नहीं बोलते । वे नहीं कहते कि चीन भी गलत करता है । चीन अपने मुस्लिम नागरिकों पर बेवजह कोड़े बरसा रहा है , न राहुल की जुबान खुलती है और न सोनिया की । हां चीन से एमओयू साइन करने दोनों पहुंच जाते हैं । चीनी दूतावास में दावत उड़ाने से राहुल को कोई परहेज नहीं है । चीन में उइगर मुसलमानों की चीख न तो दारुल उलूम तक पहुंचती है और न छप्पन इस्लामिक देशों तक।
सब जानते हैं कि चीन दुनिया का सबसे नृशंश तानाशाह है । वह नाम का सर्वहारा है , हकीकत में तो चीनी प्रजा का भविष्य जिनपिंग के ही पास बंदी है । क्रूर जिनपिंग ने बीच सड़क अपने ही युवाओं को टैंकों से कुचलवा दिया था । तो भला जिन मुसलमानों से वह दिली नफ़रत करता है , उनकी मदद कैसे करे ? अफसोस तो इस्लामिक जगत की चुप्पी पर होता है । अपने ही भाइयों के कत्लेआम पर तुर्की और पाकिस्तान द्वारा रखे गए मौन पर शर्म आती है।
उइगर मुसलमानों के पक्ष में भारत के मुसलमानों ने कभी कोई जुलूस नहीं निकाला , न ही अपने प्रधानमंत्री को दिन रात कोसने वाले फारूख , महबूबा और ओवैसी ने कभी कोई बयान दिया । यूएनओ और मानवाधिकार आयोग लगभग मरणासन्न पड़े हैं । और विस्तारवादी जिनपिंग बेबस उईगरों की मस्जिदें तबाह कर रहा है , जवान बेटियों को जबरन बेच रहा है । मुस्लिम समाज और चीन के वंशज भारतीय वामपंथियों के लिए यह सब शर्मसार करने वाला है । उनका निशाना सिर्फ अपनी चुनी हुई सरकार है , और कुछ नहीं ।
