डॉ. त्रिभुवन सिंग : उपवास पर नोबेल पुरस्कार.. डायबिटीज, कैंसर सभी बीमारियों का उपचार…

वैसे वैज्ञानिक क्षेत्र में जाने वाले लोग व्रत और उपवास को अवैज्ञानिक मानते रहे हैं। परंतु, जब मात्र कुछ वर्ष पूर्व एक जापानी फिजियोलॉजिस्ट को  #Autophagy अर्थात उपवास पर नोबेल पुरस्कार मिला, और उसने बताया कि डायबिटीज से लेकर कैंसर तक ही नहीं, वरन लगभग सभी बीमारियों का उपचार या निग्रह इससे संभव है, यह शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है, तबसे हम जैसे हठधर्मी चिकित्सक भी उपवास को सम्मान देने लगे हैं।
कल से सुपर्णखाओं की सेना व्रत और उपवास को कलंकित करने के लिए कलप रही होगी। मैं वैसे उनको पढ़ता नहीं हूं। क्योंकि चित्त की एक दशा को विक्षिप्त कहा गया है। तो इन विक्षिप्त मूर्खों के द्वारा फैलाए गए कचरे का क्या संज्ञान लेना।
परंतु इसकी वैज्ञानिकता प्रमाणित हुई आज से छः वर्ष पूर्व 2016=में , एक जापानी वैज्ञानिक यशीमोरी ओशुमी को #autophagy पर अन्वेषण करने हेतु नोबेल पुरस्कार दिया गया। ऑटोफेजी का अर्थ है कि जब आप व्रत रखते हैं तो कोशिकाएं अपने ही अवशिष्ट का भोजन के लिए किस तरह उपयोग करती हैं।
वैसे वैज्ञानिक क्षेत्र में जाने वाले लोग व्रत और उपवास को अवैज्ञानिक मानते रहे हैं। परंतु, जब मात्र कुछ वर्ष पूर्व एक जापानी फिजियोलॉजिस्ट को  #Autophagy अर्थात उपवास पर नोबेल पुरस्कार मिला, और उसने बताया कि डायबिटीज से लेकर कैंसर तक ही नहीं, वरन लगभग सभी बीमारियों का उपचार या निग्रह इससे संभव है, यह शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है, तबसे हम जैसे हठधर्मी चिकित्सक भी उपवास को सम्मान देने लगे हैं।
इसको विस्तार से समझने का प्रयास कीजिए। जब आप उपवास करते हैं तो शरीर को ऊर्जा कहां से मिलती है? संचित वसा से।
परंतु कोशिका स्तर पर क्या होता है?
कोशिकाएं जब भोजन से प्राप्त होने वाली ऊर्जा से वंचित होती हैं उपवास के कारण, तो वे अपने ही अंदर बचे हुए अवशिष्ट को खाना शुरू कर देती हैं। इसे ऑटोफैजी कहते हैं। इसे सेलुलर लेवल पर सफाई अभियान की तरह समझा जाना चाहिए।
यदि हम स्वच्छ रहने के अभ्यासी हैं तो यह रॉकेट साइंस नहीं है कि हम सैकड़ों बीमारियों को आमंत्रित करते हैं।
इसलिए भारतीय मनीषा ने तीन तरह की स्वच्छता का नियम बनाया था।
शारीरिक स्वच्छता : नियमित स्नान द्वारा।
मानसिक स्वच्छता: नियमित ध्यान द्वारा।
और कोशकीय स्वच्छता : नियमित व्रत और उपवास द्वारा।
शारीरिक अस्वच्छता शारीरिक बीमारियों को जन्म देगी।
मानसिक अस्वच्छता मानसिक बीमारियों को जन्म देगी।
कोशकीय अस्वच्छता और भी महीन, घातक, और दीर्घकालिक बीमारियों को जन्म देगी।
 आज से कुछ वर्ष पूर्व जब तक इस विषय में नोबेल पुरस्कार नहीं मिला था, इसे संदेह की दृष्टि से देखा जाता था। और इस संदर्भ में बहुत कम रिसर्च पेपर प्रकाशित होते हैं। आज इस विषय पर लगभग 500 पेपर प्रतिवर्ष प्रकाशित होते हैं। इस विषय पर कैंसर से लेकर ब्लड प्रेशर, हाइपोथायरॉइडिज्म से लेकर हड्डी के जुड़ने तक के बारे में इसकी क्या उपयोगिता है इस पर रिसर्च हो रही है। यहां तक कि डायबिटीज मुक्त जीवन के लिए भी इसका उपयोग हो रहा है।

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