सुरेंद्र किशोर : एक वो भी समय था,एक ये भी समय है
सत्तर के दशक में बिहार सरकार के एक पूर्व मंत्री व नामी स्वतंत्रता सेनानी ने भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने की जगह आत्महत्या कर ली थी।
वे लोकलाज वाले नेता थे।
उस आरोप के साथ वे अपने लाखों समर्थकों व प्रशंसकों के सामने नहीं जाना चाहते थे।
उसके विपरीत आज पूरे देश में कैसा जमाना हम
देख रहे हैं !
संसद में हंगामा और बाहर भ्रष्टाचार !
आन-बान-शान के साथ जेल जाने वाले नेताओं व अफसरों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
संकेत हैं कि अभी और भी बढ़ेगी।
आज नेता जब भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाते हैं तो अपने समर्थकों के सामने इस तरह हाथ हिलाते हैं मानो देश के लिए कोई जंग जीत कर आ रहे हैं या जंग पर जा रहे हैं।
तब का जमाना लोकलाज वाला था।
आरोप लगने पर नेता लोग आंख नहीं मिलाते थे।आज वाले तो जेल जाते समय भी विरोधियों पर
आंखें तरेरते हैं।
और क्या -क्या करते और बोलते हैं,यह सब लोग देख ही रहे हैं।
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आत्म हत्या कर लेने वाले उस स्वतत्रता सेनानी ने सोचा होगा कि मैं अब अपने लाखों समर्थकों -प्रशंसकांे के सामने बाकी जीवन कैसे मुंह दिखाऊंगा !
अब तो एक दिन भी जीना ठीक नहीं।
उस नेता ने अपने मंत्रित्वकाल में एक निर्माण एजेंसी से 75 हजार रुपए की रिश्वत ली थी।
चुनाव सामने था।चुनाव खर्चे के लिए ही वह पैसा था, अपनी संपत्ति बढ़ाने के लिए नहीं।
आज के अधिकतर नेता दिनानुदिन अपनी संपति बढ़ाते जा रहे हैं।
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आज पक्ष या विपक्ष के कोई भी नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जब जेल जाते हें तो आम लोग खुश होते हैं।
उन्हें लगता है कि शायद अब सरकारी भ्रष्टाचार थोड़ा कम होगा।
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आजादी के तत्काल बाद से ही सरकारी भ्रष्टाचार देश के विकास
में बाधक रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर पहला घोटाला जीप घोटाला था।
वह घोटाला करने के लिए उच्चत्तम स्तर पर साजिश हुई थी।
बिहार के प्रारंभिक घोटाले थे–लोहा कांड ,छोआ कांड, साठी कांड आदि।
राजीव गांधी की सन 1985 वाली वह उक्ति याद कीजिए।
उन्होंने कहा था कि 100 पैसे दिल्ली से हम भेजते हैं,पर उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही गांव तक पहुंच पाते हैं।
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अब तो सरकारी भ्र्रष्टाचार ने राष्ट्रद्रोह की समस्या को भी गंभीर बना दिया है।
यहां के सरकारी सेवकों को रिश्वत देकर कोई भी बांग्ला देशी
-रोहिग्यां अपने आधार कार्ड,राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र आदि तुरंत बनवा लेते हैं।
बोर्डर पार करने के लिए उसे दो हजार देने पड़ते हैं।
भारत के वोटलालुप नेता उनकी मदद करते हैं।
इस भ्रष्टाचार का नतीजा है कि जिला दर जिला आबादी में धार्मिक समूहों का अनुपात बदलता जा रहा है।एक दिन इसका नतीजा क्या होगा,समझ लीजिए।
क्या अब भी भ्रष्टाचार के आरोप में फांसी का प्रावधान नहीं होगा ?
नहीं होगा तो यह देश नहीं बचेगा।
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4 अक्तूबर 23