हरीश चंद्र शर्मा : मुहूर्त देखकर शुभ कार्य करें या बिना मुहूर्त के..?
क्या मुहूर्त देखकर कोई शुभ कार्य करना चाहिए या बिना मुहूर्त के ही करना चाहिए इसका सटीक और सही जवाब आप भी सुनिए । आर के मार्बल के फाउंडर “पाटनी जी” सवाल पूछ रहे हैं।
विडियो मैं नहीं सुन पाया, खुला ही नहीं। गणेश जी मननशील व्यक्ति है, अंतःप्रज्ञा से युक्त हैं, अच्छे मार्गदर्शक हैं फिर भी मुझ से पूछ रहे हैं तो मैं निश्चित ही मेरे निजी विचार प्रकट करुंगा । उसे आप सबके साथ साझा भी करता हूँ ।
मैं यह मानता हूँ कि जब कार्य सिद्ध हो जाय तो वह क्षण मुहूर्त होता है । उसमे दैव्य शुभता होती है । शुद्ध अंतःकरण से सकारात्मक सोच रख कर जब कार्य किया जाता है तो भी वह शुभ मुहूर्त हुआ करता है । क्योंकि ऐसी स्थिति में कार्य सिद्ध हो ही जाता है ।
ज्योतिषी तो अनुमान लगाता है, ग्रहों की ऊर्जाओं का आंकलन करता है, वह यह सोचता है कि जब ग्रहों की ऊर्जा की बौछारें अधिक पड़ रही होती हैं तो वे आपके कार्य में साधक हुआ करती हैं । इसी कारण ऐसे समय को वह मुहूर्त मानता है । उसका सोचना गलत नहीं है । हवाएं जब साथ चल रही हो तो नौका को उसी दिशा में चलाने से सहयोग प्राप्त होता है और नौका को गति मिलती है । पर हमारा गंतव्य स्थान विपरीत स्थिति में हो तो ? आपको हवाओं के विरोध मे ही जाना होता है । तब आप देखते हो कि हवा की गति कम से कम किस समय है उसी समय प्रस्थान करते हो।
बस यही आंकलन एक ज्योतिषी आपके लिये कर देता है ।उसे वह मुहूर्त कहता है । उसके आंकलन मे कुछ त्रुटि रह सकती है । पर इतना तो निश्चत है कि उसने जो आंकलन किया है उसमे कुछ सार अवश्य है । मुहूर्त निकालने वाला सक्षम है तो मुहूर्त निकाल कर कार्य करना उचित होगा । पर यह ध्यान में रखना होगा कि मात्र मुहूर्त अच्छा आंक लेने से ही कार्य सिद्ध नहीं हुआ करते हैं . मुहूर्त के महत्व को समझ कर ही उसका प्रयोग करना उचित होता है । बेतरतीब बिना आंकलन के कार्य करने की अपेक्षा आंकलन करके कार्य करना मेरी दृष्टि से उचित हुआ करता है।
