सुरेंद्र किशोर : कोल इंडिया को ठीक करने लगेेंगे तो आपकी सरकार गिर जाएगी…भ्रष्टाचारियों के बचाव में महाभारत.. भारत जोड़ो…
शेखर गुप्त (पत्रकार)
यदि कोल इंडिया को ठीक करने लगेेंगे तो आपकी सरकार गिर जाएगी।
पीयूष गोयल- केंद्रीय मंत्री-हम गिर जाने को तैयार हैं।
पर,हम ठीक करेंगे।
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‘आजतक’टी.वी.चैनल
-3 जुलाई 2014
8 बजे रात
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मेरी डायरी से
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आज की स्थिति क्या है ?
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सरकार तो नहीं गिरी।
बल्कि 2019 में और मजबूत हो गई।
पर,क्या कोल इंडिया ठीक हुआ ?
या,कोल इंडिया को सुधारने का वादा भूल कर
मंत्री जी अपनी सरकार बचाने में लग गये ?
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कोल इंडिया के जानकार कृपया मेरा ज्ञानवर्धन करें।
मैंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर 11 जनवरी, 2023 को जो कुछ दैनिक जागरण में लिखा,दैनिक भास्कर 11 मार्च, 2023 को उसी नतीजे पर पहुंचा।
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कांग्रेस ने जो जन समर्थन गंवाया है,वह भारत जोड़ो यात्रा या ऐसी किसी अन्य राजनीतिक कवायद से वापस हासिल नहीं होने वाला।
—दैनिक जागरण
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‘‘भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी कांग्रेस जस की तस।’’
—दैनिक भास्कर
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दरअसल मेरी मान्यता रही है कि जिन कारणों से कांग्रेस ने जन समर्थन खोया,उन कारणों को दूर किए बिना उसे फिर जन समर्थन मिलेगा कैसे ?
एक ही जीवन में इतने अधिक ‘‘परिवर्तन’’ !
पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध !
और अब भ्रष्टाचारियों के बचाव में महाभारत !!
जिन नेताओं, लोगों और दलों को डा.राम मनोहर लोहिया,जयप्रकाश नारायण और अन्ना हजारे के नेतृत्व में भीषण भ्रष्टाचार के खिलाफ कठिन संघर्ष करते मैंने अपनी इन्हीं आंखें से देखा था,उनमें से ही अधिकतर लोगों को अब अकल्पनीय भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करने वालों के खिलाफ कठिन युद्ध लड़ते देख रहा हूं।
मैं भाग्यशाली हूं जो एक ही जीवन में इतने अधिक परिवर्तन देख रहा हूं और उसे रिकाॅर्ड भी कर पा रहा हूं।
अभी आगे भी तरह- तरह के नजारे नहीं देखूंगा,उसकी कोई गारंटी नहीं।
(कठोर संयम से अपने स्वास्थ्य को मैंने लगभग ठीक रखा है ताकि और भी सनसनीखेज नजारे ये नजरें देख सकें।)
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सन 1966 से 1976 तक मैं सक्रिय राजनीति और सोद्देश्य पत्रकारिता में था।
सन 1977 से मुख्य धारा की पत्रकारिता व स्वतंत्र लेखन के काम में लगातार व्यस्त रहा हूं।
इस बीच लोभ संवरण (लोभ किसे नहीं होता ?पर,उसे संवरण करना पड़ता है)करते हुए और आर्थिक तकलीफ सहते हुए भी मैंने कभी ‘‘बाएं-दाएं ताक- झांक’’ नहीं की ताकि मैं सच को सच, और झूठ को झूठ, समझने और कहने की नैतिक शक्ति अपने में बचा कर रख सकूं।
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पूरा सच तो मैं भी अपने जीवन काल में नहीं लिख पाऊंगा।
मोरारजी देसाई जैसे निर्भीक नेता ने भी सन 1986 में धीरेन भगत को इसी शर्त पर विस्फोटक इंटरव्यू दिया था कि इसे मेरे मरने के बाद ही प्रकाशित किया जाए।
उनके निधन के बाद साप्ताहिक पत्रिका ‘संडे’(23 अपै्रल 1995) में वह लंबा इंटरव्यू छपा था।
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मुझे कभी- कभी यह लगता है कि इस देश का ईश्वर ही मालिक है ,यदि वह कहीं है तो !
वैसे कभी -कभी तो यह सवाल भी मन में उठता है कि भगवान के अलावा और कौन सी शक्ति है जो घोर बेईमानों को दुनिया के सारे सुख उपलब्ध कराती है और भरसक सही राह पर मेहनत करते हुए चलने वालों को सामान्य तौर पर जीवन-यापन में भी कठिनाइयां आती रहती हैं !!!