एस्ट्रो राजेंद्र शर्मा : श्रीहरि विष्णु के नृसिंह अवतार का स्वागत दारु-मांस से.. जीवहत्या से संतान के जीवन में आती है ये बाधाएं.. ग्रह देंगे ऐसे प्रतिफल..

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त भारत के सबसे बड़े बनारस हिंदू विश्व विद्यालय से हस्तरेखा शास्त्र में PHD कर चुके पंडित डॉ. राजेंद्र प्रसाद शर्मा (9977031588) का नाम ज्योतिष के क्षेत्र में समूचे छत्तीसगढ़ में जानापहचाना नाम है। पेशे से शिक्षक  जांजगीर जिले के डी ब्लॉक कॉलोनी के पास स्थित अपने निवास में प्रति रविवार छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न स्थानों से आए लोगों की समस्याओं का निवारण करतें हैं।
आप इनके सामने बैठ जाइए, ये आपसे बिना कुछ पूछे आपके विषय में लिखना शुरू कर देते हैं।

ज्योतिष शास्त्र को लेकर वे कहते हैं कि ज्योतिष को अगर समझना है तो पहले नारद को जानिये। श्रीकृष्ण देवर्षियों में नारद को अपनी विभूति बताते हुए गीता के दशम अध्याय में कहते हैं- अश्वत्थ: सर्ववूक्षाणां देवर्षीणां च नारद:।

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शर्मा जी हंसते हुए कहते हैं -“व्यवहार में एक दूसरे के बीच झगड़ा लगाने वाले व्यक्ति को हम नारद कहते हैं। परंतु नारद कलहप्रिय नहीं वरन वृतांतों का वहन करने वाले एक विचारक थे।” ऋग्वेद मंडल में 8-9 के कई सूक्तों के दृष्टा नारद हैं।


नारद मुनि ब्रम्हाजी के सात मानस पुत्रों में से छठवें  भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है। उन्होंने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर दिया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है।


वैदिक साहित्य, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृतियाँ, सभी शास्त्रों में कहीं ना कहीं नारद का निर्देश निश्चित रूप से होता ही है। अथर्ववेद, ऐतरेय ब्राह्मण, मैत्रायणी संहिता आदि में नारद का उल्लेख है।


देवर्षि नारद ने अनेक कार्य किए हैं। भृगु कन्या लक्ष्मी का विवाह विष्णु के साथ करवाया। इन्द्र को परामर्श देकर उर्वशी का पुरुरवा के साथ परिणय सूत्र कराया। जलंधर का विनाश शिवजी से करवाया। कंस को आकाशवाणी का अर्थ समझाया। रामायण की रचना करने की प्रेरणा वाल्मीकि को दी तो व्यास जी से भागवत की रचना करवायी। प्रह्लाद और ध्रुव को इनके उपदेश से महान भक्त बने। बृहस्पति और शुकदेव जैसों की शंकाओं का समाधान किया।


पंडित राजेंद्र शर्मा आगे बताते हैं कि – “तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में पार्वती के तप का वर्णन में उल्लेख किया है कि सयानी पार्वती को देखकर माता मैना और पिता हिमालय को पुत्री के विवाह की चिंता होने पर राजा-रानी ने कन्या के भविष्य के विषय में पूछा-

त्रिकालग्य सर्बग्य तुम्ह गति सर्बत्र तुम्हारि।

कहहु सुता के दोष गुन मुनिबर हृदयं बिचारि।


नारद जी ने पार्वती का हाथ देखकर भविष्यवाणी की-

सब लच्छन संपन्न कुमारी। होइहि संतत पियहि पिआरी।

सदा अचल एहि कर अहिवाता। एहि तें जसु पैहहिं पितु माता ।


पंडित राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि इतना सब कुछ बताने का उद्देश्य यह है कि लोगों को ज्ञान हो कि ज्योतिष एक तर्कसम्मत वैज्ञानिक गणना विधि है और इसके माध्यम से आप अपने जीवन को सार्थक दिशा की ओर ले जा सकते हैं।”



 दीपावली, एकादशी, नवरात्र, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी सहित सभी पर्व शालीनता के साथ मनाएं जातें हैं लेकिन होली के शालीनता से पूर्ण पर्व को शराब, मांस का पर्याय बनाकर दूषित कर दिया गया है। इस विषय पर होली के पावन पर्व पर मांस- मदिरा का सेवन  करने वालों को लेकर ज्योतिषी राजेंद्र शर्मा कहतें हैं – ” जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णुजी के अवतार नृसिंह का स्वागत मांस, शराब के साथ करने वालों से लक्ष्मीजी कुपित होकर उनका बड़ा नुकसान करा देतीं हैं। प्राण रक्षा करने आए भगवान नृसिंह का पर्व जीवों के प्राण लेकर उनका मांस खाकर मनाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है ? संतान को इसके कारण जीवन में अनेक बाधाओं से जूझना पड़ता है।”

सार यह है कि मासूम भक्त प्रह्लाद का जीवन बचाने नृसिंह के रूप में अवतरित विष्णुजी का स्वागत निरीह-मूक जीवों की हत्या-मांस से करेंगे तो आपको भी एक्सीडेंट या किसी न किसी तरह से इसका प्रतिफल भोगने के लिए तैयार रहना चाहिए। लक्ष्मीजी के अराध्य का स्वागत दारू-मांस से करेंगे तो मां लक्ष्मी जी किसी न किसी रूप में आपकी संपत्ति का नुकसान करेंगी ही।

पंडित राजेंद्र शर्मा कहते हैं -” होली में जीवहत्या, मांस,मदिरा सेवन के दुष्प्रभाव से सूर्य जो जीवनदाता है, उसके साथ-साथ अन्य सभी ग्रह भी कमजोर होने के साथ ही अपना दुष्प्रभाव डालते हैं। जीवनदाता सुर्यदेव यानी राजा और जब राजा नाराज होंगे तो बाकी दरबारी ग्रह भी राजा का अनुशरण कर दुष्प्रभावों से जीवन को नर्क करेंगे ही।”


जन्माष्टमी की रात, नवरात्र, महाशिवरात्रि, दीवाली की रात, होली की रात वैदिक संस्कृति में बेहद तेजी से प्रभाव देने वाले माने गए हैं। आप जो करेंगे उसका कई गुणा अधिक वापसी होती है।


“होली ईश्वर से विप्पत्ति में रक्षा के आशीर्वाद लेने का पर्व है। घर, परिवार और समाज के साथ घुलने मिलने का है, इसे शराब पार्टी बनाकर बर्बाद न करे।होली…दारू-मांस संग श्री विष्णु के नरसिंह अवतार का पर्व मनाने वाले भक्तों के घर  लक्ष्मी(समृद्धि) नही टिकती।”


दस महाविद्याओं में 10वीं महाविद्या माँ कमला के इस मंत्र का 108 बार या जितना अधिक हो सके कीजिए और अपने व परिवार के जीवन को स्वस्थ, समृद्धि की दिशा में बढ़ाइए…
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह् सौ: जगत प्रसूत्यै नमः।

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