बालको : मानसी चौहान हैं तो.. “ऑल इज वैल”

राजा भोज को टीले की खुदाई के दौरान भारत पर एकक्षत्र राज करने वाले राजा विक्रमादित्य का सिंहासन मिला और सिंहासन में लगी अलग-अलग नामों की 32 पुतलियों ने अलग-अलग कहानियां सुनाई, जिसे सुनकर राजा भोज सिंहासन में बैठने का साहस ही नहीं कर पाए। इसी तरह से राजा रामचंद्र जी के वनवास के दौरान छोटे भाई भरत ने भी रामजी की पादुकाएं सिंहासन पर रखकर राजकाज चलाया। जिले में इसी तरह से बड़े अधिकारी जब प्रवास पर होतें हैं तो अपना प्रभार सौंपकर जाते हैं अब उन्होंने इतिहास में क्या सुना है या कैसी श्रद्धा है? ये तो वे ही जानेंगे।


‘एक दिन का राजा’ शीर्षक पर अनेक कहानियां लिखी गई हैं, अनेक नाटक रचे गए हैं। इसी क्रम में प्रियदर्शन की अनिल कपूर अभिनीत ‘नायक’ ने भी सिनेमा के रूपहले पर्दे पर सफलता का परचम लहराया। फिल्म में मुख्यमंत्री का पात्र निभा रहे अमरीश पुरी इस फिल्म के नायक अनिल कपूर को सरेआम चैलेंज करते हैं – “राजकाज चलाना इतना आसान नहीं है। बच्चे हो, एक दिन राजकाज चलाकर बताओ।”

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नायक अनिल इस चुनौती को स्वीकार कर एक दिन के मुख्यमंत्री बनकर समूचे राज्य में एक दिवस में ही क्रांतिकारी बदलाव लाते हैं। इसके बाद के चुनाव में वे एक दिन के कार्यकाल की उपलब्धियों को भुनाकर मुख्यमंत्री चुनकर आते हैं।


वेदांता कंपनी ने कोरबा जिले में स्थित भारत एल्यूमिनियम कंपनी की मृदुभाषी, अपने कार्यक्षेत्र में कुशल भारत एल्यूमिनियम कंपनी की सीएसआर हेड मानसी चौहान को दो दिन के लिए सीईओ का प्रभार सौंपा  है। इस दौरान सीएसआर हेड मानसी चौहान सीईओ के कार्यक्षेत्र  में किस तरह के क्रांतिकारी निर्णय कंपनी में कार्यरत महिलाओं के हित में लेकर कंपनी के लोगों के बीच लोकप्रिय के शिखर को स्पर्श कर पातीं हैं, यह लोगों की खासकर बालको से जुड़े लोगों की दृष्टि में है।


संभवतः कंपनी में ही आगे शीर्ष नेतृत्व देने के लिए यह खेल विधाता ने शायद रचा हो। प्रभारी सीईओ के प्रभार के रूप में यह तो विधाता ने फिल्म का ट्रेलर दिखाया है। अनुभवी दर्शक तो फिल्म का ट्रेलर देखकर ही पूरी फिल्म की स्टोरी का अंदाजा लगा लेते हैं।


वैसे सामाजिक दायित्वों के निर्वाह को लेकर सतत सजग मानसी चौहान को अगर अगर प्रभार के साथ अधिकार भी मिला होगा तो पूर्व में बालको में कार्यरत रह चुकीं महिलाओं की एक सामान्य सी समस्या है जिससे कई बुजुर्ग महिलाओं को आज भी जूझना पड़ रहा है, अगर इन 2 दिनों के प्रभार के मध्य उनकी समस्या हल हो जाती है या सुलझाने की दिशा में कोई सार्थक पहल किया जाता है तो यह इस 2 दिवसीय प्रभार की सार्थकता होगी और आने वाले लंबे समय तक इसकी चर्चा होगी।

बुजुर्ग महिलाओं की समस्या को पूर्व में भी सामने रखा गया था, जो इस लिंक में है –

“धन्य है बालको.. करोड़ों-अरबों की बात लेकिन हजार-हजार के लिए ये चक्कर काट रहे महीनों से दिनरात… स्वर्ण पदक नही रोटी का सहारा चाहिए”.. http://veerchhattisgarh.in/?p=10311

संवेदनशील, कार्यकुशल मानसी चौहान हैं तो एक छोटी सी आशा तो की ही जा सकती है…”ऑल इज वैल”


बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने विगत वर्ष अपना पद कंपनी संवाद प्रमुख मानसी चौहान को सौंपा था। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं का सम्मान करने के साथ ही उन्हें नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए सक्षम और सशक्त बनाने प्रबंधन का यह प्रयास अन्य संस्थाओं, संस्थानों के लिए अनुकरणीय है।

ये है बालको प्रबंधन द्वारा जारी एक प्रेस नोट में

कोरबा जिले में स्थापित एल्यूमिनियम और पावर सेक्टर में वैश्विक स्तर पर पहचान बना चुकी वेदांता कंपनी ने कोरबा जिले में स्थित भारत एल्यूमिनियम कंपनी की सीएसआर हेड मानसी चौहान को दो दिन के लिए सीईओ का प्रभार सौंपा है। वे इस उत्तरदायित्व का निर्वहन करेंगी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के परिप्रेक्ष्य में यह दायित्व मानसी को दिया गया है। इस तरह का यह पहला अवसर है जब महिला अधिकारी को प्रोत्साहित करने के लिए नई सोच पर काम किया गया।

पत्रकारिता और जन संचार में उपाधि प्राप्त मानसी ने काफी समय तक अंग्रेजी समाचार पत्रों में सेवाएं दी हैं। महाराष्ट्र में काम करने के बाद उन्होंने बालको को ज्वाइन किया। सामाजिक उत्तरदायित्व और जनसंपर्क विभाग में सेवारत मानसी ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि कंपनी प्रबंधन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्य करने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा कि प्रबंधन को शीर्ष पर ले जाने में उनकी नीतियां सहायक साबित होती है।

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भारतीय संस्कृति में पुरुषों से अधिक सुरक्षित है महिलाओं का स्थान

भारतीय संस्कृति में तो महिलाओं को वर्ष में एक बार याद करने के स्थान पर हर पर्व में पुरुषों से पहले स्थान दिया गया है। मनुस्मृति में ‘’यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।’’ जिस स्थान पर नारी की पूजा होती है,वहां देवता रममाण होते हैं” कहा गया है। सनातन संस्कृति ने नारी को आदिमाया शक्ति का रूप नवरात्र में है। विवाह के उपरांत कोई भी पूजा पत्नी के सहभाग के बिना पूर्ण नहीं होती। हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के नाम भी लक्ष्मी-नारायण,सीता-राम,राधे-श्याम,गौरी-शंकर इस प्रकार हैं। स्त्रियों के लिए एक दिन नहीं,अपितु प्रत्येक दिन ही हिन्दू धर्म ने दिया है।

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