वैदिक मान्यताएं : ईश्वर का स्वरूप (भाग-3)
ईश्वर के स्वरूप के संदर्भ में सामान्यत: ईश्वर के गुण, कर्म और स्वभाव का वर्णन किया जाता है । अब
Read moreईश्वर के स्वरूप के संदर्भ में सामान्यत: ईश्वर के गुण, कर्म और स्वभाव का वर्णन किया जाता है । अब
Read moreवह परमपुरुष बिना शरीर के, बिना इन्द्रियों के ऐसे काम करता है मानो उसके असंख्य सिर हों, असंख्य आँखें हों
Read more( गतांक के आगे ) ix) अन्तरात्मा की आवाज़ । ईश्वर की सत्ता का मुख्य प्रमाण अन्तरात्मा में उठने वाली
Read moreवैदिक वाङ्मय सूर्यदेवता के महात्म्य, उनकी विश्व संचालन में चेतनात्मक भूमिका तथा सूर्योपासना के लाभों के विवरणों से भरा पड़ा
Read moreसृष्टि की रचना के लिये प्रवृत्ति (चेष्टा, इच्छा, संकल्प) की आवश्यकता होती है जो जड़ प्रकृति में नहीं है। उदाहरणार्थ
Read moreवैदिक मान्यताएं मोक्ष सिद्धान्त 64) मोक्ष की अवधि यह सिद्धान्त है कि जिसका आदि होता है, उसका अन्त भी अवश्य
Read moreद्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं परि षस्वजाते। तयोरन्य: पिप्पलं स्वाद्वत्तयनश्ननन्यो अभिचाकशीति ।। — ऋग्वेद 1.164.20 दो पक्षी, सुन्दर पंखों
Read moreवेद नारी को अत्यंत महत्वपूर्ण, गरिमामय, उच्च स्थान प्रदान करते हैं। वेदों में स्त्रियों की शिक्षा- दीक्षा, शील, गुण, कर्तव्य,
Read moreॐ : हिंदुओं का मूल धार्मिक ग्रंथ कौन सा है? किसी भी सनातनी से पूछे तो जवाब रामायण मिलेगा, गीता
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