प्रदूषण पर सांसद श्रीमती महंत.. बालको कर रहा नर्सरी में राख डंप…

कोरबा। जिले के बिजली प्लांटों से निकलने वाले राखड़ की  समस्या से निपटने जिले के पॉवर प्लांट्स को राखड़ के शत प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित करने के निर्देश को पॉवर प्लांट्स के द्वारा ठेंगा दिखाया जा रहा है, इसके कारण लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। राखड़ के उपयोग के मामले में लापरवाही को लेकर बिजली प्लांटस को पहले भी एनजीटी नोटिस जारी कर चुका है।

सूत्रों की मानें तो जिले में सबसे अधिक शिकायत बालको पॉवर प्लांट को लेकर है। बालको पॉवर प्लांट का ऐश डेम पूरी तरह भर चुका है। जिसकी वजह से बालको प्लांट से उत्सर्जित राख को सड़क किनारे फेंका जा रहा है। ताजा मामला डेंगुर नाला के पास समीप रिसदी मार्ग का है। जिस प्रकार से राख को पाटते हुए नाले की दिशा में बढ़ा जा रहा है उससे दूरदृष्टि स्पष्ट है कि आगे नाले में राख वृष्टि होना ही है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि वन विकास निगम के द्वारा  पौधरोपण कर संरक्षित किए गए  प्लांटेशन को बेरहमी से रौंदकर राख डंप किया जा रहा है।

जहाँ वन विकास निगम के प्लांटेशन नर्सरी में राख को डंप किया जा रहा है। सेटेलाइट मैप से भी स्थिति दिखाई दे रही है कि किस प्रकार से भारी संख्या में हेवी लोडर वाहनों की कतार यहां पर है।

सेटेलाईट मैप में वन विकास निगम के प्लांटेशन एरिया में खड़े-चलते हुए भारी संख्या में लोडर वाहन

पूरे देश के एक बड़े भूभाग को प्रकाशित करने वाला कोरबा शहर ही प्रदूषण के गहन अंधकार से घिरा हुआ है। कोरबा के अनेक पॉवर प्लांट से निकलने वाले राख का निस्तारण पर्यावरण नियमों के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए कही भी कभी भी किसी भी समय बिना किसी प्रकार की अनुमति लिए लगातार करने में बालको से निकलने वाली राख ने नंबरो के क्रम में मेरिट स्तर पर कब्जा कर रखा है, इसके बाद के क्रम में अन्य पॉवर प्लांट्स का नंबर आता है।

गरीबों की बस्तियों में बीमारियों की बरसात

हाल ही में बरसात के मौसम के बीतने के साथ ही बालको पॉवर प्लांट के पास बना ऐश डेम पूरी तरह से भर चुका है। राख के सूखने के बाद जब तेज हवा चलती है तो राख डेम से उड़ कर आस-पास की घनी आबादी की बस्तियों में फैलकर बीमारियों की बरसात करती है। महंगाई की मार झेल रहे गरीब कोयले के जलने से निकलने वाली राख में उपस्थित आर्सेनिक, पारा यानी मरकरी, सीसा यानी लेड, वैनेडियम, थैलियम, मॉलीबेडनम, कोबाल्ट, मैंगनीज, बेरीलियम, बेरियम, एंटीमनी, एल्युमिनियम, निकेल, क्लोरीन और बोरोन जैसे अन्य कई और भी मानव जीवन के प्रति घातक तत्वों की चपेट में आकर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। सर्वाधिक चिंता की बात देश के नौनिहालों के स्वास्थ्य को लेकर है बच्चों में तीव्र श्वसन रोग, अस्थमा व चर्मरोग जैसी समस्याएं भी काफी देखने को मिलती है।

सांसद ज्योत्सना महंत : उद्योगों द्वारा प्रदूषण कम करने के लिए किए जा रहे विभिन्ना कार्यों की समय पर समीक्षा आवश्यक

सांसद श्रीमती महंत पूर्व में कह चुकीं हैं कि कोरबा का बढ़ा हुआ प्रदूषण लोगों में आंख और फेफड़ों के साथ ही टीबी की बीमारी को बढ़ा रहा है।

पॉवर प्लांटस के द्वारा पर्यावरण के मानक नियमों के उल्लंघन करने के लेकर सांसद ने कहा कि कोरबा व आसपास के अन्य जिलों में स्थापित विभिन्ना संयंत्रों, कारखानों का नियमित निरीक्षण व जांच की जाए, साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ), कारखानों से निकलने वाले दूषित जल व अन्य अपशिष्ट के सुचारू प्रबंधन का पालन नहीं करने वाले उद्योगों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई आवश्यक है।  उद्योगों द्वारा प्रदूषण कम करने के लिए किए जा रहे विभिन्ना कार्यों की समय पर समीक्षा आवश्यक है। साथ ही केंद्र, राज्य सरकार, सीएसआर व अन्य मद से प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रदत्त राशि की उपयोगिता की समीक्षा भी आवश्यक है। आगे उन्होंने कहा कि कोरबा व अन्य निकट जिले में स्थापित सभी कारखानों, उद्योगों की प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम व पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम में तय मानकों तथा प्रदूषण नियंत्रण एवं खतरनाक अपशिष्ट के निपटान के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भारत सरकार द्वारा जारी नियम का पालन करने के लिए संबंधितों को आवश्यक निर्देश दिया जाए।

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