आनंद मिश्रा : अंगूठा चूस रहे, जम्हाई ले रहे गर्भस्थ शिशु को भी संरक्षण का अधिकार.. स्त्री-अधिकार के नाम पर इस क्रूरता का समर्थन करने वाले अवश्य पढ़ें ये…

15 सप्ताह के बाद गर्भस्थ शिशु क्या कर रहा होता है? वह स्वाद कलिकाएँ बना रहा होता है और तंत्रिकाएँ उन्हें मस्तिष्क से जोड़ रही होती हैं। बच्चे के पैर अब उसकी भुजाओं से अधिक लंबे होने लगते हैं। वह अपने सभी अंगों को हिला सकता है, और वास्तव में वह लगातार चलता रहता है।

15 सप्ताह में पलकें, भौहें, नाखून पहले ही बन चुकी होती हैं। आय एम राइटिंग दिस बिकाॅज अब प्रगतिशीलता के नाम पर आठ महीने के गर्भस्थ शिशु को मारने की अनुमति भी मिल रही है- एक बच्चा (या बच्ची) जो कई सप्ताह से अपना अंगूठा चूस रहा है, और जो जम्हाई ले सकता है और चेहरे बना सकता है।

सभी तथाकथित स्त्री-अधिकार के नाम पर इस क्रूरता का समर्थन करने वालों को विज्ञान के इन निर्विवाद तथ्यों को पढ़ना चाहिए और खुद से ईमानदारी से पूछना चाहिए वे क्यों मानते हैं गर्भ के किसी भी चरण में किसी बच्चे को जानबूझ कर मारना ठीक है?

जाहिर है विज्ञान के दावे धार्मिक अवधारणाओं या अजन्मे की देखभाल करने के शास्त्र के आदेश के परिणाम नहीं हैं, यह जीव विज्ञान और एनाटाॅमी के स्थापित सत्य हैं। जब अजन्मा बच्चा भी एक इंडिविजुअल होता है और उसकी अपनी स्वतंत्र कन्शियसनेस है तब उसे भी संरक्षण का अधिकार है।

जहाँ माँ के लिए लाइफ थ्रेटनिंग सिचुएशन हो, या गर्भ किसी अनचाही स्थिति के कारण हो उसपर कोई सवाल नहीं है, लेकिन यह सब कारण न हों तब यह मानवता के प्रति अपराध है। आपके पास यह चयन का अधिकार पहले से है कि अगर आप निश्चित नहीं हैं कि आपमें अपने बच्चे को जन्म देने के लिए पर्याप्त विल-पावर और नैतिक बल है या नहीं तो प्रेग्नेन्ट होना ही अवाॅयड कीजिए ऐट फर्स्ट प्लेस! लेकिन जब आप होशो-हवास में प्रेगनेन्ट होना चुनती हैं, 15 हफ्ते उसे रखने का निर्णय लेती हैं तो कम से कम उसके जन्म तक उसका जीवन आपकी जिम्मेदारी है, भले इसके बाद उसे किसी अनाथालय में भी भेज दें।

डियर फेमिनिस्ट्स, जीवन के अधिकार का स्थान किसी भी समानता के अधिकार या क्रांति से हमेशा ऊपर रहेगा। प्रकृति ने आपको (फेमिनिस्टों को) पसंद न होने के बावज़ूद गर्भधारण और स्तनपान का सामर्थ्य केवल महिलाओं को दिया है और इसपर आप कुछ नहीं कर सकतीं। साथ ही, समानता और स्वतंत्रता के नाम पर किसी को उनके नैतिक दायित्वों से बरी नहीं किया जा सकता। लड़कों को भी नहीं, लड़कियों को भी नहीं।

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