NRI अमित सिंघल : अगर देश का प्रधानमंत्री पढ़ा-लिखा होना चाहिए, तो उसका चुनाव कैसे होगा?

अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले ट्वीट किया था कि देश का प्रधानमंत्री पढ़ा-लिखा ही होना चाहिए. तब से मेरे मन में रह रहकर विचार आ रहा है कि पढ़े लिखे होने की परिभाषा क्या है?
क्या अरविंद केजरीवाल पढ़े-लिखे माने जाएंगे या उनके बैच का टॉपर पढ़ा-लिखा माना जाएगा? या फिर वह उमर शेख से जो लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ा था और जिसने अमरीकी पत्रकार डेनियल पर्ल की गर्दन रेतकर पाकिस्तान में हत्या कर दी थी. या फिर 19 आतंकवादियों को जिन्होंने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया था. वह सब या तो इंजीनियर थे या फिर पायलट. अल क़ाएदा का नेता अल-ज़वाहिरी डॉक्टर है.
जरा सा और आगे बढ़ते हैं. अगर पढ़ा लिखा व्यक्ति प्रधानमंत्री होना चाहिए तो क्या यह नहीं होना चाहिए कि सभी पढ़े-लिखे लोग एक कंपटीशन दें और जो उसमें टॉप करें वह प्रधानमंत्री बने. लेकिन फिर व्यवस्था की सफलता के लिए यह भी आवश्यक है कि सारे विधायक और सांसद भी पढ़े लिखे हो. इससे तो लालू प्रसाद और उनके पुत्रों का टिकट ही कट जाएगा.
या फिर मुझे प्रधानमंत्री होना चाहिए जिसने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, JNU और फ्रांस के टॉप संस्थान से पढ़ाई की है और एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन में कार्य भी कर रहा हूं. लेकिन शशि थरूर का क्या होगा? उन्होंने PhD करी है और उसी संगठन में वह भी काम कर चुके हैं. लेकिन समस्या यह है कि अगर शशि थरूर को अपनी पढ़ाई के बल पे प्रधानमंत्री होना चाहिए, तो फिर राहुल गांधी का क्या होगा? वह तो शशि थरूर से कम पढ़े लिखे हैं. इस पूरे प्रकरण में सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षा का क्या होगा? और फिर प्रियंका, वह कहां तक पढ़ी लिखी है? या फिर इंदिरा गांधी? मनमोहन सिंह कैंब्रिज में पढ़े लिखे होने के बाद भी सोनिया गांधी की जी हजूरी किया करते थे. और चिदंबरम हार्वर्ड में पढ़े होने के बाद भी क्या-क्या करतूतें कर बैठे?
और केजरीवाल स्वयं IIT में पड़े होने के बाद भी उनमें उनके व्यवहार में जरा सी भी शालीनता नहीं है. हर चीज को बदतमीजी के साथ बेहुदे तरीके से बोलना. बात बात में देश के प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाना और भाजपा के नेताओं से लिखित में माफी मांग लेना. कहां से लगता है कि वह पढ़े लिखे है?
फिर Sumant Bhattacharya जैसे मित्रो का क्या होगा जिन्हे भारत की मिटटी और जीवन शैली से अच्छी तरह कोई अन्य नहीं जान सकता. क्या उनके इस ज्ञान को क्वालिफिकेशन माना जाएगा. या फिर धूनी रमाये साधू संत को प्रधानमंत्री होना चाहिए जिनका अंतर्ज्ञान हम सब से अधिक है.
या फिर एक अनपढ़ बूढ़ी माँ जो बादल का रंग देखकर मौसम बता दे, महिलाओ को प्रसव करवा दे और चार-पांच मुस्टंडे लड़को को पाल कर एक जिम्मेदार नागरिक बनाये, जिनमे से एक आज भारत का प्रधानमंत्री है.

 

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