PM मोदी की क्रांतिकारी पहल.. छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की छात्राओं के साथ ISRO लांच करेगा सेटेलाइट.. आजादी सेट और स्पेस किड्स.. ये भी रहेंगे शामिल….

मोदी सरकार द्वारा भारत में लाया गया यह एक बहुत ही क्रांतिकारी कदम है जिससे भारतीय सरकार भविष्य में भारत द्वारा स्पेस में भारत का वर्चस्व स्थापित करने के लिए और स्पेसक्रांति लाने के लिए भारतीय जनमानस को तैयार कर रही है और मजे की बात यह है कि यह सभी बच्चे भारत के सरकारी स्कूलों से लिए गए हैं।
भारतीय सरकारी स्कूलों में गरीब माता-पिता के बच्चे पढ़ते हैं यह माता पिता अपने बच्चों को उच्च प्रौद्योगिकी  की शिक्षा नहीं दिलवा सकते क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की फीस भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते। इस प्रयोग के सफल होने की लगभग 100% गारंटी है और इससे भारतीय सरकारी स्कूलों के आम बच्चों को आईआईटी  का शुरुआती ज्ञान मिलना शुरू हो चुका है।
भारत के लगभग 75 स्कूलों में से प्रत्येक स्कूल से 10-10 आठवीं से 12वीं कक्षाओं की छात्राओं को लेकर एक सेटेलाइट बनाया गया है जिसका अब प्रक्षेपण होगा। यह एक अत्यंत दूरदेशी कदम है जिससे भारतीय सरकार भारत में स्पेस क्रांति ला सकती है।
छत्तीसगढ़ के इन स्कूलों से जाएंगी छात्रायें
पूरे भारत में सरकारी स्कूली छात्राओं के लिए इस अवसर को लाने के लिए नीति आयोग ने इस परियोजना के लिए भागीदारी की है। हेक्सावेयर परियोजना को वित्तपोषित करके समर्थन कर रहा है।
” आज़ादीसैट ” सरकारी स्कूली बच्चों (आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से) को अंतरिक्ष की बुनियादी समझ और ज्ञान के साथ प्रोत्साहित करने और एक छोटे से प्रयोग का निर्माण करने और इसे उपग्रह” या “कक्षीय उपग्रह” के माध्यम से माध्यम से अंतरिक्ष के किनारे पर लॉन्च करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए महत्वाकांक्षी दृष्टि वाला एक उपग्रह मिशन है।
इस परियोजना का महत्व यह है कि इसे आजादी की 75वीं वर्षगांठ – आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए संकल्पित किया गया है।
स्पेस किड्ज इंडिया ने बुनियादी और सरल प्रयोग विकसित किए हैं जिन्हें छात्र अपने विज्ञान शिक्षकों और हमारी एसकेआई टीम की ऑनलाइन कोचिंग के साथ-साथ सीख सकते हैं और इकट्ठा कर सकते हैं।
भारत भर में लड़कियों के लिए 75 सरकारी स्कूलों से, इस अवसर को देने के लिए प्रत्येक स्कूल से 10 छात्राओं का चयन किया है। चयनित छात्र मुख्य रूप से कक्षा 8वीं-12वीं के हैं। यह एसटीईएम में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए ‘ऑल वूमेन कॉन्सेप्ट’ के साथ अपनी तरह का पहला अंतरिक्ष मिशन है क्योंकि इस साल की संयुक्त राष्ट्र की थीम “अंतरिक्ष में महिलाएं” है।
मोदी सरकार द्वारा भारत में लाया गया यह एक बहुत ही क्रांतिकारी कदम है जिससे भारतीय सरकार भविष्य में भारत द्वारा स्पेस में भारत का वर्चस्व स्थापित करने के लिए और स्पेसक्रांति लाने के लिए भारतीय जनमानस को तैयार कर रही है और मजे की बात यह है कि यह सभी बच्चे भारत के सरकारी स्कूलों से लिए गए हैं।
भारतीय सरकारी स्कूलों में गरीब माता-पिता के बच्चे पढ़ते हैं यह माता पिता अपने बच्चों को उच्च प्रौद्योगिकी  की शिक्षा नहीं दिलवा सकते क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की फीस भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते। इस प्रयोग के सफल होने की लगभग 100% गारंटी है और इससे भारतीय सरकारी स्कूलों के आम बच्चों को आईआईटी  का शुरुआती ज्ञान मिलना शुरू हो चुका है।
भारत के लगभग 75 स्कूलों में से प्रत्येक स्कूल से 10-10 आठवीं से 12वीं कक्षाओं की छात्राओं को लेकर एक सेटेलाइट बनाया गया है जिसका अब प्रक्षेपण होगा। यह एक अत्यंत दूरदेशी कदम है जिससे भारतीय सरकार भारत में स्पेस क्रांति ला सकती है।
आज़ादीसैट  एक असाधारण उपग्रह है। यह सिर्फ सैटेलाइट नहीं है बल्कि 750 छात्राओं की भावना है, उनमें से अधिकांश कश्मीर से कन्याकुमारी के ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जो इसरो के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के पहले प्रक्षेपण में भाग ले रही है। पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 किलोग्राम से कम वजन वाले उपग्रहों की कक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया।  इसका उद्देश्य सरकारी स्कूली बच्चों को विशेष रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों को अंतरिक्ष की बुनियादी समझ और ज्ञान के साथ प्रोत्साहित करना है और उन्हें एक छोटे से प्रयोग का निर्माण करने और इसे अंतरिक्ष के किनारे पर लॉन्च करने के लिए प्रशिक्षित करना है।
14 से 17 वर्ष के यह बच्चे भविष्य में भारत को कहां पहुंचा देंगे। मोदी की इसी दूरदेशी को को नेशन बिल्डिंग कहा जाता है.
 स्पेस किड्ज एक ऐसा संगठन है, जो देश के लिए युवा वैज्ञानिकों को तैयार कर रहा है। यह बच्चों में विज्ञान विषय में रूचि बढ़ाने से लेकर उनके बीच जागरूकता भी फैला रहा है।
देश के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं द्वारा निर्मित उपग्रह ‘आजादीसैट’ का अगले महीने की शुरूआत में प्रक्षेपण होने वाला है। इसे लघु उपग्रह अंतरिक्ष यान (एसएसएलवी) के जरिये अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस उपग्रह का वजन आठ किलोग्राम है। इसमें अपने ही सोलर पैनल की तस्वीरें खींचने के लिए सेल्फी कैमरे लगे हुए हैं। साथ ही, इसमें लंबी दूरी के संचार ट्रांसपोंडर भी है।

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