तांबे के लोटे और दक्षिणावर्ती शंख से एक साथ सूर्यदेव को अर्ध्य कैसे दें..

रोज सुबह उगते सूर्य को जल चढ़ाने और पूजा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। सूर्यदेव को जल चढ़ाने से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलता हैं।

सूर्यदेव को अर्घ्य देकर उनकी वंदना करने वालों को स्वास्थ्य लाभ, आध्यात्मिक लाभ के साथ समस्त सही कार्यों में सफलता मिलती है।

 श्रीविष्णु भगवान धरती पर श्रीराम रूप में अवतरित हुए तब वे भी अपने दिन का आरंभ सूर्य नारायण की पूजा से करते थे।  इनकी कृपा दृष्टि से रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं। सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है क्योंकि उन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है अर्थात हर कोई इनके साक्षात दर्शन कर सकता है। सूर्य की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं।

सूर्य को ज्योतिष में आत्मा का कारक माना जाता हैं| ऊर्जा और पॉज़िटिव देने के लिए सूर्य की पुजा करनी चाहिए। जो व्यक्ति सूर्य देव को नमन करते हैं, उनके अंदर गज़ब का आत्मविश्वास होता हैं, और उनके ऊपर तंत्र-मंत्र का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता हैं और अपने कार्यों में वे सफलता प्राप्त करते हैं।
सूर्यदेव को अर्ध्य सामान्यतः तांबे के लोटे में गुड़,चावल, कुमकुम, लाल फूल, लाल चंदन मिलाकर दिया जाता है। शंख से का भी उपयोग अर्ध्य देने के लिए कहा जाता है लेकिन ये प्रचलन में नही है क्योंकि इसमें न तो ज्यादा जल आता है और नही अन्य सामग्रियों को मिलाया जा सकता है।तांबे के लोटे और शंख से एकसाथ जल अर्पित करने के लिए तांबे के लोटे में शंख रखे और अगर ये दक्षिणावर्ती शंख हो तो सोने में सुहागा वाली बात होगी, तांबे के लोटे में शंख रखने के साथ ही जो गुड़,चावल, कुमकुम, लाल फूल, लाल चंदन जो आपको उचित लगे मिलाकर सूर्यदेव को अर्ध्य अर्पित कीजिए। ये जानकारी आपको नेट पर नही मिलेगी।इसका लाभ मुझे लंबे अरसे से मिला है और सबसे बड़ी बात कि आपपर लोगो का किया वॉर शत्रुओं को ही नुकसान कर जाता है।
आध्यात्म जगत से जुड़े कपिल व्यास जी के विचार हैं कि उठने के बाद बिना कुछ किए सीधे उठकर आप सूर्यदेव के दर्शन करते हुए 21 बार  ” ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं श्रीं सूर्य अनंत किरनौं नमः का मानसिक जप करें।तब कही कुल्ला वगैरह करें। इसमे “ह्रीं श्रीं”  2 बार जप करना है।
आध्यात्मिक जगत से ही जुड़े प्रखर आचार्य दीपक दत्त जी का मानना है कि सुबह सूर्यदेव के दर्शन करने से पहले बिस्तर से जमीन पर प्रथम पग “स्वर विज्ञान” के नियमों के अनुसार हो तो जीवन संघर्ष में बाधाएं स्वतः दूर होती है। स्वर विज्ञान दैनिक जीवन में सफलता के लिए बेहद उपयोगी ज्ञान है।
सूर्य देव के चढ़ाये गए जल में कुछ बचा ले और उसको अपने हाथ में लेकर चारों दिशाओ में उसको छिड़कना चाहिए। इसके करने से हमारे आस-पास वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है।