सरल है मोदी का कवि मन…
बतौर अति. मुख्य अभियंता छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी मर्यादित, कोरबा टप विद्युत गृह में अपनी सेवाएं दे चुके श्री बी.बी.पी. मोदी अपने कार्यकाल में अपनी अनुशासन के कारण कठोर माने जाते थे लेकिन समाज,व्यवस्था के प्रति उनका कोमल हृदय उनकी कविताओं से फूटकर सामने आने लगा,तब लोगों को इनके संवेदनशील व्यक्तित्व का दूसरा पहलू भी नजर आया। समाज में स्त्री दशा को लेकर “दामिनी” नाम से मन को छूती 3 पार्ट में प्रकाशन कर चुके हैं।मात्र 16 वर्ष की आयु में माँ का साथ छोड़कर ईश की शरण में जाना उनके दिल को आआज भी कचोटता है।श्री मोदी ने एक औपचारिक चर्चा के दौरान कहा कि झूठ बोलने वाले एवं कामचोरों से उन्हें नफरत है।
समसामयिक विषय एवं समाज में घटने वाली घटना को मन को छू लेने वाली कविताओं के माध्यम से वे व्यक्त करते हैं।
इच्छा
पुत्र
आओ , बैठो ।
तुमसे कुछ बातें करनी है ।
जी,पिता जी।
बेटा, अब मैं बूढ़ा हो चुका हूँ ।
सोचता हूँ कि मेरे पास जो भी है
उसे, मैं तुम्हें सौंप दू।
तुम्हें तो पता होगा कि
काली पहाड़ी पर कि जमीन
तुम्हारी बहन की शादी के वक़्त
बेचनी पड़ी थी ।
जिस घर में हम सब रहते हैं
इसे तुम्हारी शादी के वक़्त
साहूकार के पास गिरवी रखनी पड़ी थी ।
लेकिन खुशी की बात है
मैंने इसे सेवानिवृत्ति के बाद
साहूकार से छुड़ाने में सफलता पाई ।
अब मेरे पास सच्चाई, ईमानदारी,
आदर,प्यार, स्नेह, सम्मान
सत्यता, यश,वैभव,बचा है ।
इसे मैंने अपने जीवन में हासिल
किया है,तुम अकेले मालिक हो ।
मुझे गर्व है कि मैंने तुम्हें इतनी
शिक्षा दी है कि तुम अपनी योग्यता के सहारे ही जीवन यापन
सुगमता से चला सकते हो ।
जीवन में कभी भी लालच,दंभ
तिरस्कार नहीं करना ।
आत्मबल, संयम, शांत स्वभाव
दया,करूणा, प्रेम, सदभाव
हमेशा कायम रखना ।
बाहरी आडम्बर से हमेशा
बचते रहना ।
अच्छी शिक्षा अपने बच्चों को
हमेशा देना।
ईश्वर में भक्ति भाव, सुसंस्कृत,
आशावादी विचार,करूणा
उनकी पूंजी बने।
बाबूजी ।
मेरी हर संभव कोशिश होगी कि
आपके बताये सारे नियमों का
जीवन भर पालन करते रहूँ ।
मेरी आपसे एक विनती है कि आप मेरी एक इच्छा पूरी कर दीजिए कि तिजोरी की चाबी
का पता पहले बता दीजिए ।
