भारतीय संस्कृति में नंदी की तरह प्रतीक्षा सबसे बड़ा गुण
नंदी शिव के बाहर आकर कुछ कहने का इंतजार नहीं कर रहा। वह बस इंतजार कर रहा है। नंदी अनंत प्रतीक्षा का प्रतीक है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में प्रतीक्षा को सबसे बड़ा गुण माना जाता है।
जो इंसान चुपचाप बैठकर इंतजार करना जानता है, वह कुदरती तौर पर ध्यानशील हो जाता है। उसे ऐसी उम्मीद नहीं है कि शिव कल बाहर आ जाएंगे। वह चिरकाल तक इंतजार कर सकता है। यह गुण ग्रहणशीलता का मूल तत्व है।
नंदी बैल शिव का सबसे करीबी साथी है क्योंकि वह खुद ग्रहणशीलता का मूल तत्व है। किसी मंदिर में जाने से पहले आपके अंदर नंदी का गुण होना चाहिए ताकि आप बस बैठ सकें।
इसका मतलब है कि आप स्वर्ग जाने की कोशिश नहीं करेंगे, या इसे या उसे पाने की कोशिश नहीं करेंगे – आप बस जाकर चुपचाप बैठेंगे। सिर्फ वहां बैठे रहकर वह आपको बताता है, ‘मंदिर के अंदर जाकर काल्पनिक चीजें मत कीजिए। किसी चीज के लिए प्रार्थना मत कीजिए। बस जाकर मेरी तरह बैठ जाइए।’
साभार : अग्निहोत्री नीरज