चीन का जवाबी डिजिटल वॉर ?
साइबर विशेषज्ञों ने काफी अरसे पूर्व लगभग वर्ष 2017 में आगाह किया था कि देश की साइबर सुरक्षा पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘कैशलेस इकॉनमी’ जैसे महत्वाकांक्षी अभियानों के भविष्य पर रैंसमवेयर ‘वानाक्राई’ की तरह साइबर हमले का खतरा बना रहेगा।
आईटी मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि उसे विभिन्न स्रोतों से कई शिकायतें मिली हैं, जिनमें एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कुछ मोबाइल ऐप के दुरुपयोग के बारे में कई रिपोर्ट शामिल हैं। इन रिपोर्ट में कहा गया है कि ये एप ‘‘उपयोगकर्ताओं के डेटा को चुराकर, उन्हें भारत के बाहर स्थित सर्वर को अनधिकृत तरीके से भेजते हैं।’’ बयान में कहा गया, ‘‘भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति शत्रुता रखने वाले तत्वों द्वारा इन आंकड़ों का संकलन, इसकी जांच-पड़ताल और प्रोफाइलिंग, आखिरकार भारत की संप्रभुता और अखंडता पर आधात है, यह बहुत अधिक चिंता का विषय है, जिसके लिए आपातकालीन उपायों की जरूरत है।’’
डिजिटल वॉर से वॉर की शुरुआत?
लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारत सरकार ने चीनी मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाकर कूटनीति का एक नया पासा फेंका है। केंद्र सरकार ने एक मास्टरस्ट्रोक चलते हुए टिक टॉक, यूसी ब्राउजर सहित चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया। केंद्र सरकार ने कहा कि ये ऐप देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। चूंकि इन ऐप्स से मिलते-जुलते फीचर्स वाले ऐप की कमी नहीं, इसलिए भारत को नुकसान नहीं है। मगर चीन के लिए भारत का ऐप मार्केट न सिर्फ बहुत बड़ा था, बल्कि वह बढ़ भी रहा था। अब खबरें आ रही है कि चीन ने भी भारतीय मीडिया समूह, चैनल पर पाबंदी लगा दी है।
