केंद्र सरकार ने 1984 के सिक्ख दंगा पीड़ितों के लिए पुनर्वास राशि की घोषणा की..

मोदी सरकार को लेकर एक मुख्य बात है कि पुराने मामलों को दबाने के स्थान पर पीड़ितों को न्याय दिलाने की भरसक प्रयास करती है। कुछ ऐसा ही 1984 के सिख दंगों की फाइलें दोबारा खोलने के बाद अब मोदी सरकार ने मृतकों के परिवारों के लिए राहत राशि के तौर पर पुनर्वास योजना को लेकर घोषणा की है।

सिख दंगों की फाइलें मोदी सरकार आने के बाद फिर खुल गईं और इस क्रम में दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के कुछ अहम नेताओं को दोषी ठहराते हुए सज्जन कुमार जैसे नेताओं को उम्रकैद की सजा सुनाई।  पीड़ितों के 34 साल बाद नासूर बन चुके घावों को भरने के लिए मृतक परिवारों के लिए राहत राशि के रूप में पुनर्वास योजना की घोषणा केंद्र ने की है, जिसे लोक सभा में भी पेश किया गया है।

लोकसभा में गुरुवार को भारी हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने 1984 के सिख दंगा पीड़ितों के लिए एक पुनर्वास राशि की घोषणा की। इसमें प्रत्येक मृतक के आश्रितों को 3.50 लाख रुपये व घायलों को 1.25 लाख रुपये दिए जाएंगे। यह राशि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने पेश किया। इसमें मृतकों के विधवाओं और बुजुर्ग परिजनों को 2500 रुपये मासिक पेंशन देने का राज्य सरकार के लिए प्रावधान भी किया गया है।

यह पेंशन उन्हें जीवनभर मिलेगी। पेंशन पर होने वाला खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा।  इससे पहले 2014 में भी केंद्र सरकार ने सिख विरोधी दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों की राहत बढ़ाकर पांच-पांच लाख रुपये करने की योजना पेश की थी। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में 84 के दंगा पीडि़तों को बढ़ी हुई राहत राशि देने के लिए 4.5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

मंत्रालय ने कहा है कि बढ़ी हुई सहायता राशि राज्य व केंद्र शासित प्रदेश अपने निजी फंड से अदा करेंगे और बाद में उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संबंधित राज्यों को लौटाई जाएगी।

 

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