विश्वविद्यालय में लायब्रेरी की दीवार पर उकेरे गए उपनिषदों के छंद

उपनिषदों में कर्मकाण्ड को ‘अवर’ कहकर ज्ञान को इसलिए महत्व दिया गया कि ज्ञान स्थूल (जगत और पदार्थ) से सूक्ष्म (मन और आत्मा) की ओर ले जाता है। ब्रह्म, जीव और जगत्‌ का ज्ञान पाना उपनिषदों की मूल शिक्षा है। उपनिषद् भारतीय सभ्यता की अमूल्य धरोहर है। उपनिषद ही समस्त भारतीय दर्शनों के मूल स्रोत हैं।

उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक चिन्तन के मूल आधार हैं, भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के स्रोत हैं। वे ब्रह्मविद्या हैं। जिज्ञासाओं के ऋषियों द्वारा खोजे हुए उत्तर हैं। वे चिन्तनशील ऋषियों की ज्ञानचर्चाओं का सार हैं। विश्व के दार्शनिक उपनिषदों को सबसे बेहतरीन ज्ञानकोश मानते हैं।

17वीं सदी में दारा शिकोह ने अनेक उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया। 19वीं सदी में जर्मन तत्त्ववेता शोपेनहावर ने इन ग्रन्थों में जो रुचि दिखलाकर इनके अनुवाद किए वह सर्वविदित हैं और माननीय हैं। विश्व के कई दार्शनिक उपनिषदों को सबसे बेहतरीन ज्ञानकोश मानते हैं।

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हमारे देश के विश्वविद्यालयों में अक्सर ऐसे प्रकरण दृष्टिगत हुए हैं जब भारतीयता के प्रतीक चिन्हों को अपमानित किया गया या फिर खंडित किया गया। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में कुछ समय पहले ही स्वामी विवेकानंद जिन्हें सम्पूर्ण विश्व मानता है उनकी प्रतिमा को खंडित करने का प्रकरण पूरे देश ने देखा।

पोलैंड के एक पुस्तकालय की दीवार पर उपनिषदों के छंदों को लिपिबद्ध किया गया है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर ये तस्वीर बेहद लोकप्रिय हो रही है। वारसॉ यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की दीवार पर उकेरे गए उपनिषदों की तस्वीर पोलैंड में भारतीय दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी साझा किया गया है।

रुपेश वर्मा ट्वीट पर कहते हैं – ” पोलैंड में वाॅरसा विश्वविद्यालय की लायब्रेरी की दीवार पर भारतीय सनातन धर्म ग्रंथ उपनिषद के छंद उकेरे गए है। यह बहुत ही सुखद है कि विश्व महान प्राचीनतम वैदिक सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति स्वैच्छिक रूप आकर्षित हो रहा है अपना रहा और सनातन धर्म अपनाने पर गर्व महसूस कर रहा है।”

एक अन्य ट्वीट यूजर भारती लिखतें हैं – ” हमारी हिंदू संस्कृति सर्वोत्तम है लेकिन वोट बैंक की राजनीति ने इसका महत्व कम कर दिया।”

 

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