निर्दिष्ट नक्षत्रों में दवा सेवन, शल्य चिकित्सा शुभ फलित होती है : Astro निशांत

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सफल भविष्यवाणी कर चुके प्रसिद्ध ज्योतिष निशांत ताम्रकार (+917974939026) कुंडली से व्यक्ति के जीवन में किस तरह के रोग आएंगे और उसका उपाय क्या होगा,इसकी सटीक गणना करते हैं।  रोगों का उपचार उचित मुहूर्त, तिथि में कराने पर अधिक लाभ कम समय में होता है, ऐसा उनका मानना है। वे कहते हैं कि रेवती, अश्विनी, पुनर्वशु, पुष्य, चित्रा, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, अनुराधा, मूल, मृगशिरा, इन नक्षत्रों में दवाई या इलाज शुरू करने से जल्दी रोग दूर हो जाता है एवं शुभ होता है |
ज्योतिष शास्त्र में रोगों के निदान के लिए कुछ विशेष काल निर्धारण के बारे में श्री निशांत कहते हैं कि रोग विशेष का यदि उपचार कर्म शुरू करने के लिए ज्योतिष की गूढ़ गणनाओं से भिन्न भिन्न अलग यह वह प्राकृतिक नियमों के अनुकूल समय हैं,जिसे जानकर हर कोई सरलता से अपनाकर  अपेक्षाकृत अधिक शुभ परिणाम पा सकता है।
1. साधारण में 11 से 3 बजे तक
2. पेट के रोगसुबह 7 से 9 बजे तक
3. गुर्दे के रोगदिन में 11 से 1 बजे तक
4. शारीरिक कष्ट सुबह 9 से 11 बजे तक
5. लिवर के रोग दिन में 1 से 3 बजे तक
6. हृदय रोगदिन में 11 बजे से 1 बजे तक
7. मूत्र रोग दिन में 3 से 5 बजे तक
8. फेफड़े रोग दिन में 3 से 5 बजे तक
चिकित्सा पद्धति में कहा जाता है कि शरीर में प्राकृतिक ऊर्जा की शक्ति दिन में 3 बजे से 5 बजे तक अधिक मात्रा में होती है। इसलिए अक्सर सलाह दी जाती है कि गम्भीर रोगों का इलाज दिन के निर्दिष्ट समयानुसार ही किया जाए।
यदि शल्य चिकित्सा कराने जा रहे हैं तो इसी प्रकार प्रयास करें कि दोनों पक्षों की 4, 9, 14 तिथियाँ, सोमवार, मंगलवार अथवा गुरूवार और अश्विनी, मृगशिरा, पुष्प, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, श्रवण अथवा शतमिषा नक्षत्रों के संयोग एक साथ मिल जाएं।
यदि पूर्णतया विशुद्ध गणनाओं में जाना है तो ज्योतिष ज्ञान, ग्रहगोचर आदि का ज्ञान परम आवश्यक है। औषधि सेवन के लिए प्रारम्भ करने के लिए समय के अभाव में यदि विशुद्ध गणना करना सम्भव न हो तब पंचाग से मात्र तिथि, वार और नक्षत्र देखकर उपचार प्रारम्भ कर सकते हैं। शुक्ल पक्ष की 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13 और 15 तिथियाँ इसके लिए शुभ सिद्ध होती हैं। संयोग से यह तिथियाँ रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरूवार अथवा शुक्रवार की पड़ती हैं तो यह और भी अच्छा योग है। इनमें यदि अश्विनी, मृगाशिरा, पुनर्वस, पुष्प, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, श्रवण, घनिष्ठा और रेवती नक्षत्र भी मिल जाए अर्थात् तिथि, दिन और नक्षत्र तीनों के संयोग एक साथ बन जाएं तब तो बहुत ही संतोषजनक परिणाम औषधि और चिकित्सा के सिद्ध हो सकते हैं।

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