2020 का भारत 21 पड़ रहा चीन पर.. कूटनीतिक मोर्चे पर भारत भारी…
चीन के कब्जे जमाने की नीतियों पर पूरे विश्व के सामने चीन की मिट्टी पलीत हो रही है, वही दूसरी ओर अमेरिका सहित अब रूस भी भारत के समर्थन में संकेत देने लगा है। अब तक चीन को मोदी सरकार ने लगातार हर मोर्चे पर पटखनी देकर विश्व बिरादरी के सामने उसका मुंह काला किया है।
* गलवान घाटी की घटना के बाद तो पीएम मोदी सेना को पूरी छूट दे चुके हैं, ताकि अगर चीन कोई हिमाकत करे तो उसका करारा जवाब दिया जाए।
*सीमा पर चीन की बढ़ती हलचल से बिना घबराए तत्काल ही भारत की सेना के टैंक से लेकर लड़ाकू विमानों की गूंज से सीमा गर्म हो गई।
* सड़कों के निर्माण का जो काम बरसों से अटका हुआ था, वो लगभग पूर्णता की ओर मोदी सरकार के कार्यकाल में है।
* सियाचीन ग्लेशियर जहां पैदल सैनिक ही पहुंच पाते थे,वहां हेलीकॉप्टर से लेकर फाइटर जेट और सेना का सबसे भारी भरकम विमान भी लैंड करने लगा है।
* आर्थिक मोर्चे पर जहां भारत सरकार वर्ष 2018 से ही संसद में समिति गठित कर चीन के आयात पर कमी लाने की दिशा में प्रयासरत है, जिससे चीन पूर्व से ही तिलमिलाया हुआ है।
* विश्व बिरादरी भी चीन की तानाशाही नीति को लेकर आक्रोश में है।सभी अवसर खोज रहे हैं कि किसी तरह चीन को सबक सिखाने की।इस वक्त भारत के रूप में सीमा विवाद को लेकर बात युद्ध की आई तो अधिकांश देश भारत के साथ होंगे।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी संसद की विदेश नीति मामलों की समिति ने वर्ष 2018 में चीन की नीति को लेकर अपनी चिंता जताई थी। इस इलाके में लाखों भारतीय नागरिक बसे हुए हैं। समिति का कहना था कि चीन किसी सिद्धांत पर अमल नहीं कर रहा है। समिति ने यह भी ने कहा था कि दिसंबर 2012 में हुई कॉमन अंडरस्टैंडिंग के पॉइंट नंबर 12 और 13 का चीन ने डोकलाम में गतिरोध के दौरान उल्लंघन किया। हालांकि पैनल ने स्पष्ट रूप से यह भी कहा कि इसकी वजह चीन सीमा पर भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर कमजोर होना है। इसी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जिस तेजी से मोदी सरकार आगे बढ़ रही है जो कि चीन की मिचमिचाती छोटी आंखों में खटक रहा है।
