बालिका दिवस : क्या कहतीं हैं जिले की महिला अधिवक्ताएं..

बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण करना तथा उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं कठिनाईयों की पहचान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस प्रत्येक साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है।


इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम है- “हमारी आवाज और हमारा समान भविष्य”। इस साल की थीम “हमारी आवाज और हमारा समान भविष्य” का उद्देश्य समाज में ये संदेश देना है कि कैसे छोटी बालिकाएं आज पूरे विश्व को एक मार्ग दिखाने का प्रयास कर रही हैं.

समाज में जागरूकता लाकर लड़कियों को वे समान अधिकार दिलाये जा सकें, जो कि लड़कों को दिये गये हैं। इस विषय क्या कहतीं हैं जिले की जागरुक महिला अधिवक्ताएं जिन्होंने कोर्ट के साथ ही घर-परिवार को कुशलता से सम्हाला है…

 

” राष्‍ट्र निर्माण में उनकी भूमिका सर्वोंपरि‍ है। आइए, हम बालिकाओं के प्रति भेदभाव समाप्‍त करने और अपनी बेटियों को आगे बढ़ने का समान अवसर सुनिश्‍चित करने के प्रति संकल्‍प करें।”

– रंजना दत्ता

 

“बेटी है कुदरत का उपहार है, आपका स्वभिमान तभी बढ़ेगा जब आप बेटी का सम्मान करना सीख लेतें हैं।सिर्फ आपकी नही बल्कि बेटी मतलब सबकी बेटी।”

– श्रीमती  अरुणा श्रीवास्तव

 

“जो बेटी का सम्मान करते हैं, वे जीवन की हर बड़ी कठिनाइयों का सामना करने में सफलता प्राप्त करते हैं क्योंकि उनके साथ बेटी की निश्छल सद्भावनाएँ होती है।”

– प्रतिभा बावने
“बालिका शिशु के साथ भेद-भाव एक बड़ी समस्या है जो कई क्षेत्रों में फैला है जैसे शिक्षा में असमानता, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय देख-रेख, सुरक्षा, सम्मान, बाल विवाह सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिलता है।”

– राजेश्वरी राठौर
“लड़कियों की उन्नति के महत्व के बारे में पूरे देश के लोगों के बीच  ‘मिशन जागरुकता’ का प्रसार करके लड़कियों के सर्वांगीण विकास के लिए आमजन और प्रशासन को इस दिशा में जागरूक किया जाना चाहिए।”

– श्रीमती ऋतु त्रिवेदी

 

“नारे लगाकर लोग पहले भूल जाते थे लेकिन अब तो लोगों का नज़रिया बदल रहा है , यह अच्छी बात है।बेटियों को भी प्रत्येक क्षेत्र में काम करने का अवसर मिल रहा है और वे लड़कों से कही आगे अपनी योग्यता प्रदर्शित कर रही है।”

– ममता दास