मुद्ददो की तलाश है सबसे बड़ा रोजगार..

देश की सियासत में फिलहाल रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। ये अलग बात है कि मुद्ददो की तलाश में एक-दूसरे को घेरने में लगे लोगो को इसी बहाने मुद्ददो की तलाश का रोजगार मिल जाता है। अभी फ़िलहाल रोजगार का मुद्दा देशभर में छाया हुआ है। बेरोजगारी दूर करने के लिए सुझाव देने के बजाए आरोपों की बरसात बाढ़ से ग्रस्त जनता झेलने के लिए मजबूर है। कोरोना काल मे ये रोजगार विश्वव्यापी संकट बनकर सामने आया है लेकिन बताया यही जाता है कि सिर्फ हमारे देश में ही है या सिर्फ इस राज्य में है। संसद  सत्र की शुरुआत भी सम्भवतः इसी मुद्दे से हो।

रोजगार हालांकि यह मुद्दाविपक्षी दल देशभर में सरकारों को घेरने और युवाओं को अपने पाले में करने के लिए बेरोजगारी को प्रमुख मुद्दा बनाते रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार से जहां कांग्रेस के नेता रोजगार की मांग कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस शासित राज्यों में भाजपा के नेता रोजगार नहीं मिलने के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट कर रोजगार का मुद्दा उठाया, तो आम लोगं ने भी उनसे 15 साल में दिए रोजगार पर उलटा सवाल खड़े कर दिए। यही नहीं, रमन के ट्वीट पर मध्य प्रदेश के युवाओं ने भी सवाल किया और कहा कि कभी एमपी की शिवराज सरकार को भी रोजगार देने के वादे याद दिलाएं।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर बड़ा हमला बोला था। श्री यादव ने ट्वीट कर युवाओं से अपील किया था कि  बेरोजगारी के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाएं, ताकि आपकी आवाज बहरी सरकार के कानों तक पहुंचे।

अखिलेश यादव के समर्थन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट किया था, उन्होंने लिखा था कि- इस देश का युवा अपनी आवाज सुनाना चाहता है। अपनी रूकी हुई भर्तियों, परीक्षाओं की तिथियों, अपॉइंटमेंट एवं नई नौकरियों को लेकर युवा अपनी आवाज उठा रहा है। आज हम सबको युवाओं की रोजगार की लड़ाई में उनका साथ देने की जरूरत है।


तो इधर उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष का काम है दुष्प्रचार करना, वो दुष्प्रचार का कोई भी अवसर नहीं छोड़ते हैं। लाखों की संख्या में पुलिस की भर्ती हुई है, कई हजार शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है और अन्य विभागों की नियुक्तियां हुई हैं।
जो भी सरकारें वहां सत्ता में हैं, वह राजनीतिक रूप से भले ही एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी हों, लेकिन प्रदेश के विकास के प्रश्न पर सभी को एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए नीतियों का निर्माण करना चाहिए। तभी वहां विकास की गति को तेज किया जा सकता है। आज यह देखने में आता है कि सरकार और उसके सहयोगी व प्रमुख विपक्षी दल के राजनीतिक हित टकराने के कारण हम ऐसी पॉलिसी नहीं बना पाते, जिनमें प्रदेश के लोगों की भलाई छुपी हो। बेहतर नीतियों के अभाव में संसाधन-संपन्न राज्य भी विकास के मामले में पिछड़ जाते हैं और सीमित अर्थो में विकास होता भी है, तो उसका लाभ कुछ खास लोगों तक सिमट कर रह जाता है।