अमित सिंघल : 50000 हजार लोगो की मृत्यु गन वायलेंस में..आतंकी हमलो में प्रति वर्ष औसतन 20 लोग मारे जाते है
भाग 2
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लोकतान्त्रिक अमेरिका का इतिहास देख लीजिये। दो राजनीतिक दल है; इन दोनों के बीच सत्ता ट्रांसफर होती रहती है। डेमोक्रेटिक कार्टर के बाद रिपब्लिकन रीगन-बुश, उनके बाद डेमोक्रेटिक क्लिंटन, फिर रिपब्लिकन बुश, फिर डेमोक्रेटिक ओबामा, उनके बाद रिपब्लिकन ट्रम्प, फिर डेमोक्रेटिक बाइडेन, फिर रिपब्लिकन ट्रम्प।
एक पार्टी अपनी गोटियां बिछाती है, नीति लागू करती है, तब तक दुसरे दल का समय आ जाता है और वह पुरानी गोटियां हटाकर नयी गोटियां बिछाना शुरू कर देता है। यहां तक कि एक नए राष्ट्रपति को लगभग 2000 सरकारी नियुक्तियों का अधिकार होता है। एक तरह से वह अपनी सोच एवं आइडियोलॉजी वाली टीम प्रशासन में बैठाता है। कदाचित तभी चुनाव परिणाम से शपथ ग्रहण के मध्य लगभग 10 सप्ताह का अंतर होता है।
यहां तक कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के कुल 9 न्यायाधीशों में से 6 ट्रम्प के समर्थक है, ट्रम्प की रिपब्लिकन सरकार द्वारा पार्टी लाइन पर नियुक्त किये गए है और आरोप लगाया जाता है कि पार्टी लाइन पर निर्णय देते है। यह सभी न्यायाधीश आजीवन अपने पद पर रहते है। केवल त्यागपत्र या फिर मृत्यु से ही वैकेंसी होती है। सुप्रीम कोर्ट के सभी 9 न्यायाधीश एक साथ केस को सुनते है। कोई सिबल वहां पर किसी विशेष जज को नहीं चुन सकता है।
अब भारत में क्या हुआ या होता है? स्वतंत्रता के बाद नेहरू परिवार एवं कांग्रेस का एकछत्र शासन लगभग 2014 मई तक चला। कभी वाजपेयी या मोरार जी की सरकार अवश्य बन गयी थी, लेकिन उसमे कोंग्रेसी भरे हुए थे। वाजपेयी जी के प्रमुख सचिव कोंग्रेसी थे। आरोप लगाया जाता है कि प्रियंका को बिना किसी पद के विशाल सरकारी बंगला वाजपेयी जी के आदेश से मिला, जबकि शहरी विकास मंत्री जगमोहन विरोध कर रहे थे (उस समय मैं शहरी विकास मंत्रालय में ही पोस्टेड था)।
पिछले तीन दशक से भारतीय उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, प्रमुख न्यायाधीशों के नामो की संतुस्ती स्वयं न्यायाधीश करते है। और वह सभी न्यायाधीशों के नामो की संतुस्ती एवं नियुक्ति तीन दशक पूर्व कोंग्रेसियों ने की थी। अर्थात, एक चेन बन गयी है जिसके कारण उच्च न्यायाधीश कुछ सीमित परिवार एवं बैकग्राउंड से आते है।
तभी कोंग्रेसियों एवं एक परिवार की बिछायी गोटियों (वक्फ, धार्मिक स्थल कानून) को हटाने में या फिर UCC लाने समय लग रहा हैं।
पहले तो इनमें से कुछ कानूनों को निरस्त करने या लाने में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी (जो अब लोक सभा में नहीं हैं)। फिर, मोदी सरकार के हर ऐसे कार्य को न्यायालय के समक्ष चुनती दी जायेगी, जहाँ न्यायाधीशों का दरवाजा रात्रि को कुछ विशेष वकील खुलवा सकते हैं। अतः, सरकार को संभल कर चलना होगा।
रही बात भारत की, तो एक ओर पाकिस्तान, एक ओर चीन बैठा है जिनके साथ स्वतंत्रता के बाद 5 युद्ध हो चुके है। सीमा पर स्थित अन्य राष्ट्रों – अफगानिस्तान, बांग्लादेश एवं म्यांमार में अस्थिरता है। क्या पिछली एक शताब्दी में अमेरिका को मेक्सिको या कनाडा से युद्ध फेस करना पड़ा है?
अब आते है कि नेता जी किस विषय पर चुप्पी साध गए है। क्या आपने उनके विचार गन वायलेंस के बारे में सुना है? अमेरिका में प्रति वर्ष औसतन 50000 हजार लोगो की मृत्यु गन वायलेंस में हो जाती है। कोई भी किशोर स्कूल में बन्दूक ले आता है और छात्रों को मार देता है। इसके विपरीत, पिछले एक दो दशक में आतंकी हमलो में प्रति वर्ष औसतन 20 लोग मारे जाते है।
दूसरी चुप्पी, महिलाओ के कोख पर अधिकार को लेकर है। प्रजनन स्वास्थ्य, गर्भपात इत्यादि पर चुप्पी अखरती है।
तृतीय, इस राष्ट्र में अत्यधिक निर्धनता एवं दरिद्रता भी है (अधिकतर भारतीयों को जानकार आश्चर्य होगा, लेकिन यह तथ्य है)। इस बारे में वह चुप है।
क्लाइमेट चेंज के बारे में उनके विचार सबको पता है। जो भी जलवायु परिवर्तन का विरोध करता है, नकारता है, वह विज्ञान, अर्थशास्त्र एवं प्रगति के विरोध में खड़ा है। आज जब सोलर एवं वायु से उत्पन्न ऊर्जा, कोयले से उत्पन्न ऊर्जा से सस्ती है, तब पेट्रोल-गैस-कोयला के समर्थन में खड़ा होने को दूरदृष्टि नहीं कहा जा सकता है।
इस समय विशाल उद्यम, नए उद्यम ग्रीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में खड़े हो रहे है, वैश्विक आधिपत्य जमा रहे है। यहां तक कि UAE एवं सऊदी अरब के शासक भी इस तकनीकी को दोनों हाथो से अपना रहे है, प्रोमोट कर रहे है।
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अंतिम भाग में अर्जेंटीना का उदाहरण भारत में लागू करवाने की लालसा के परिणामो को भी समझने का प्रयास करेंगे।
