दिलीप सी मंडल : क्या इंदिरा की गलती नरेंद्र मोदी के दौर में ठीक हो पाएगी..!
इंदिरा गांधी के जीवन का ये सबसे बड़ा अपराध था। जघन्य महा पाप। इमरजेंसी से भी बड़ा अपराध।
क्या इंदिरा जी की गलती नरेंद्र मोदी के दौर में ठीक हो पाएगी? क्या हमारे राजर्षि पाकिस्तान से लौट कर आएँगे?
काश ऐसा हो पाए। वह राष्ट्र के लिए उत्सव का दिन होगा।
1971 युद्ध में भारत की जीत के बाद इंदिरा गांधी ने गिफ़्ट के तौर पर मोहनजोदड़ो के संन्यासी राजा यानी राजर्षि की प्रतिमा पाकिस्तान को दे दी थी। ये मूर्ति अंग्रेजों के समय से दिल्ली के नेशनल म्यूज़ियम में थी। 1972 में ये पाकिस्तान चली गई।
ये हमारी प्राचीन सभ्यता का श्रेष्ठ प्रतीक चिह्न है।
लेकिन हारे हुए पाकिस्तान ने राजर्षि की मूर्ति माँगी। इंदिरा जी ने निजी संपत्ति समझकर दे दी।
पाकिस्तान ने राजर्षि को कराची म्यूज़ियम में रखा और उसकी कॉपी जनता देखती है।
वैसे भी बुत (ये शब्द बुद्ध से बना है) से उनको दिक़्क़त ही है। बेचारे परेशान ही हो रहे होंगे मूर्ति को देख कर।
अगली चर्चा अगर कभी हो तो भारत को अपना राजर्षि पाकिस्तान से वापस ले आना चाहिए। मेरी ये निजी कामना है। इच्छा है।
वैसे भी नरेंद्र मोदी जी का अपना गाँव वड़नगर, मोहनजोदड़ो से मुश्किल से पाँच सौ किलोमीटर दूर है जहां राजर्षि की प्रतिमा मिली थी।
वडनगर में विशाल बुद्ध विहार निकला और मोहनजोदड़ो में विशाल स्तूप।
इस प्राचीन संस्कृति और राजर्षि का सम्मान हम ही कर पाएँगे। इंदिरा गांधी से भारी चूक हुई।
अपनी विरासत ऐसे कौन लुटाता है?
हम राजर्षि को पाकिस्तान से छीनकर तो लाए नहीं थे। अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत लौटाने की हमारी ज़िम्मेदारी नहीं थी।
-श्री दिलीप सी मंडल के पोस्ट से साभार।
