दिलीप सी मंडल : संविधान पर बाबा साहब की छाप बहुत गहरी.. कांग्रेस को हर जगह सिर्फ नेहरू की छाप चाहिए थी
संविधान दिवस भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में शुरू हुआ नया राष्ट्रीय महोत्सव है।
दस साल पहले तक इस दिवस को सिर्फ बाबा साहब को मानने वाली जनता मनाती थी। सरकारें चुपचाप रहती थीं। मोदी शासन में सरकार बढ़ चढ़कर इसमें शामिल हो रही है। 2015 से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश ये उत्सव मनाता है।
दस साल पहले तक 26 नवंबर को क़ानून दिवस जैसा कुछ होता था, जिसके बारे में किसी को पता भी नहीं चलता था। 26 नवम्बर के दिन को पुरानी सरकारें कुल मिलाकर अनदेखा करती थी।
संविधान दिन का वैभव अब स्थापित हुआ है।
दरअसल 26 नवंबर भारत का गणतंत्र दिवस हो सकता था। संविधान इसी दिन स्वीकार किया गया था। सही दिन था। यही चर्चा उस समय थी।
पर कांग्रेस संविधान सभा में, जो उस समय संसद का भी काम कर रही थी, ज़बर्दस्त बहुमत में थी और उसे ये पसंद नहीं आया।
दरअसल संविधान पर बाबा साहब की छाप बहुत गहरी थी और संविधान सभा में तो हिंदू महासभा से लेकर समाजवादी और तमाम दलों के लोग थे। पूरा देश उसमें शामिल था।
कांग्रेस को हर जगह सिर्फ नेहरू की छाप चाहिए थी। अपनी पार्टी का दिन चाहिए था। नाम चाहिए था।
तो उसने 26 जनवरी का दिन चुना। कांग्रेस पार्टी के 1930 के लाहौर सम्मेलन में तय हुआ दिन। लाहौर घोषणा में अंग्रेजों को टैक्स न देने की घोषणा की गई और पूर्ण स्वराज की बात की गई।
कांग्रेस पार्टी के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता नेहरू कर रहे थे। उन्होंने ही कांग्रेस पार्टी का झंडा फहराया, जिसके बीच में चरखा था।
26 जनवरी 1930 को लोगों से कांग्रेस का झंडा फहराने की अपील की गई थी, जिसके बीच में चरखा हो। यही 26 जनवरी की महत्ता है।
खैर अब 26 जनवरी हम सबका सबसे पवित्र दिन है तो विवाद करना उचित नहीं है। जो हो गया सो हो गया। पर इतिहास का लिखा कहाँ मिटता है।
कांग्रेस भी तो ये इतिहास का ही ढोल पीटती है कि उसमें क्या क्या किया। सभी करते हैं। तो इतिहास की कड़वी सच्चाई उसी पैकेज डील में आएगी। जो ग़लत किया वह भी तो बताया जाएगा। सिर्फ मीठा नहीं आएगा।
चरखा को कांग्रेस इस कदर अपना मानती है कि जब शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी बनाई तो वो चरखा चुनाव चिह्न चाहते थे। 1999 में कांग्रेस ने चुनाव आयोग से कहा कि चरखा कांग्रेस की पहचान है। शरद पवार को चरखा चुनाव निशान नहीं मिला।
-श्री दिलीप सी मंडल के पोस्ट से साभार।
