दिलीप सी मंडल : बीजेपी क्या है? क्या है बीजेपी? ..कांग्रेस के लिए इनको को इतना महत्व देना संभव ही नहीं है
– बीजेपी ओबीसी को समुचित हिस्सेदारी देने वाली देश की पहली अखिल भारतीय पार्टी है, जिसे सर्व समाज, ख़ासकर गरीब महिलाओं का समर्थन मिलता है।
कांग्रेस ने आज़ादी के बाद से यूपी में कुल 11 मुख्यमंत्री बनाए। कभी ओबीसी जातियों का कोई मुख्यमंत्री नहीं बनाया। एक भी नहीं। कभी नहीं।
बीजेपी ने यूपी में अपना पहला मुख्यमंत्री माननीय कल्याण सिंह 🙏🏽 ओबीसी किसान लोधी जाति से बना दिया।
बीजेपी मध्य प्रदेश में लगातार ओबीसी मुख्यमंत्री बनाती रही। सुंदरलाल पटवा, उमा भारती लोधी, बाबूलाल गौर (यादव), किरार जाति के शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव।
कांग्रेस के लिए ओबीसी को इतना महत्व देना संभव ही नहीं है। ओबीसी का उभार होते ही कांग्रेस कमजोर पड़ गई।
– बीजेपी के उभार को जो भी सांप्रदायिक नज़रिए से देखेगा, वह बीजेपी को कभी नहीं समझ पाएगा।
यह दिलचस्प संयोग कि सांप्रदायिक तापमान जब भी ज़्यादा होता है, बीजेपी चुनाव में अच्छा नहीं करती।
बाबरी ढाँचा टूटने के बाद बीजेपी 1993 में नहीं जीती। पूरे देश के स्तर पर इतनी सांप्रदायिक गर्मी कभी नहीं थी। इसके बावजूद, बीजेपी 1996 में भी 166 पर रुक गई।
बीजेपी को पहली बार पूर्ण बहुमत तब मिला जब बीजेपी के शिखर पर एक ओबीसी तेली मोढ घांची परिवार के नरेंद्र मोदी आए।
2014 में सांप्रदायिक गर्मी नहीं थी। ये दरअसल चुनावी मुद्दा ही नहीं था।
ओबीसी कांग्रेस से नाराज़ था क्योंकि कांग्रेस ने खुद अपनी पार्टी समेत सभी दलों के ओबीसी नेताओं को या तो जेल में डाल दिया था या मुक़दमों में फँसा दिया था। मनमोहन की कैबिनेट से सभी ओबीसी हटाए जा चुके थे।
ओबीसी कांग्रेस की आर्थिक नीतियों में नक्सलवाद की छाया से भी परेशान थे।
2004 से 2014 के शासन में कांग्रेस ने ओबीसी का हिस्सा मुसलमानों को देने की शुरुआत कर दी थी। हिंदू ओबीसी कांग्रेस से डर गए थे।
बीजेपी अब लगातार इसलिए जीत रही है क्योंकि उसने लोक कल्याण की योजनाओं के ज़रिए ग़रीबों और किसानों और सबसे बढ़कर महिलाओं के दिलों में जगह बना ली है।
जब तक गरीब साथ है, तब तक बीजेपी कहीं नहीं जा रही है।
सांप्रदायिक विश्लेषण से बीजेपी को समझने की कोशिश बेकार है।
: सादर-साभार श्री दिलीप सी मंडल के पोस्ट से।
-चित्र इंटरनेट से साभार।