पवन विजय : शिक्षा.. मूर्ख नहीं समझेंगे दहाड़ना शेर की प्रकृति है गीदड़ की नहीं
शिक्षा शेरनी का दूध है जो पियेगा दहाड़ेगा, उस दूध को सू-अर को पिला दो, क्या वह विष्ठा खाना छोड़कर दहाड़ने लगेगा? या कौवे को पिला दो तो कांव कांव करना छोड़ कर दहाड़ने लगेगा?
शिक्षा शब्द का प्रयोग जब वामपंथी करते हैं तो वह हमेशा एजेंडे वाली शिक्षा होती है। इनके लिए सा विद्या या विमुक्तये नहीं बल्कि विद्या वह उपकरण है जिससे लोगों को गुलाम बनाया जा सकता है।
स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों में वाम समूहों को देखो तो स्वतंत्र चेतना जो सकारात्मक हो नहीं दिखती, दिखता तो केवल चरित्रहीन, डफलीबाज, नशेबाज, उद्दंड और अनुशासनहीन छात्र जो मां बाप से लेकर अपनी धर्म संस्कृति बाद भूषा को गाली दे रहा है।
वामपंथियों के लिए शिक्षा गोलबंदी करने का माध्यम है बस। इनके लिए शिक्षित होने का अर्थ इतना है कि वाम समूह का सदस्य बढ़ जाए। अगर पढ़ा लिखा व्यक्ति वामपंथी नहीं तो ये उसे पढ़ा लिखा मानते ही नहीं।
इन मूर्खों को यह समझ में नहीं आता ही कि दहाड़ना शेर की प्रकृति होती है गीदड़ की नहीं।