PM मोदी के फिल्म “साबरमती रिपोर्ट” देखने के मायने.. बॉक्स ऑफिस पर हिट हो रही

देश में अब तक अनेक दंगे हुए हैं। रामनाद दंगे, कलकत्ता दंगे, हैदराबाद दंगे, दिल्ली दंगे, रांची दंगे, वर्ली दंगे, बिहार दंगे, मुजफ्फरनगर दंगे…ऐसे देश में अब तक हुए दंगो की लंबी सूची है। उपरोक्त दंगो में तब उस राज्य के मुख्यमंत्री कौन थे, यह कोई नहीं जानता लेकिन जब गुजरात दंगे की बात होती है तब तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नाम सीधे मुंह में आता है “नरेंद्र दामोदर दास मोदी”। यही विपक्षी दलों का नैरेटिव वॉर है।

विपक्षी दलों का नैरेटिव गुजरात दंगे पर फ़ोकस करता है लेकिन दंगा क्यों हुआ, इस पर बात करने से वे भागते हैं, साबरमती एक्सप्रेस में जिंदा जलाए गए 59 लोगों की बात करने से मुंह में दही जमा लेते हैं। वोट बैंक के लिए नीचता इस हद तक कि भ्रम पैदा किया गया कि ट्रेन में आग अंदर से लगी।

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पीएम मोदी गुजरात दंगे को लेकर झूठे आरोप लगे। यह सारी जांच यूपीए के शासनकाल के दौरान हुई। गुजरात दंगे को राजनीतिक चश्मे से देखा गया। उन्हें उस दौरान SIT ने क्लीन चिट दी थी। पीएम मोदी के पीछे लेफ्ट गैंग पीछे पड़ा था। उनके खिलाफ फर्जी कैंप चलाए गए।

एक साक्षात्कार में अमित शाह ने बताया था कि तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ ये सब कर रही थी और उस समय की आई यूपीए की सरकार ने एनजीओ की बहुत मदद की।”

अमित शाह ने आगे कहा, “जिस तरह से 60 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था, उसका समाज में आक्रोश था और जब तक दंगे नहीं हुए तब तक इस घटना का का किसी ने ज़िक्र भी नहीं किया। पार्लियामेंट चल रही थी फिर भी किसी ने उसकी निंदा तक नहीं की।”

PM मोदी पर इकोसिस्टम द्वारा लगाए गए सारे आरोप राजनीति से प्रेरित थे, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने ये भी सिद्ध कर दिया था।।भाजपा की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ भारत विरोधी विचारधारा के लिए राजनीति में आये हुए पत्रकार और कुछ एनजीओ ने मिलकर इन झूठे आरोपों को लगातार प्रचारित किया और इनका इकोसिस्टम इतना मज़बूत था कि एक समय था जब धीरे धीरे झूठ को ही सब सच मानने लगे थे।

मोदी की छवि को धूमिल करने का कांग्रेस का आखिरी प्रयास भी सुप्रीम कोर्ट में औंधे मुंह गिर गया और क्लीन चिट सुप्रीम कोर्ट से मिली। किसी गुप्त उद्देश्य के लिए मामले को जारी रखने की गलत मंशा का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि जो प्रक्रिया का इस तरह से गलत इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कटघरे में खड़ा करके उनके खिलाफ कानून के दायरे में कार्रवाई की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने फिल्म देखने के बाद तसवीरें साझा करते हुए लिखा, ”द साबरमती रिपोर्ट की स्क्रीनिंग में एनडीए के साथी सांसदों के साथ शामिल हुआ। मैं फिल्म के निर्माताओं के प्रयास की सराहना करता हूं।” उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व देश के दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री और नेताओं ने फिल्म को देखकर उसकी प्रशंसा की थी और इसकी रिलीज के 16 दिन बाद पीएम मोदी द्वारा देखा जाना मेकर्स और एक्टर्स के लिए भी एक बड़ी बात है।

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बॉक्स ऑफिस पर छाई ”द साबरमती रिपोर्ट” दूसरे वीकेंड पर किया शानदार कलेक्शन

‘द साबरमती रिपोर्ट’ को देश के कई राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है। जिसके बाद विक्रांत मैसी के फिल्म के कलेक्शन में बढ़ोतरी होती नजर आ रही है।

विक्रांत मैसी की फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ 15 नवंबर को थिएटर्स में रिलीज हुई थी. लेकिन ये फिल्म पर्दे पर आने से पहले से ही चर्चा में बनी हुई है। रिलीज के बाद फिल्म ने धीरे से गति पकड़ी है, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक ने इसकी तारीफ की है।

इन राज्यों में टैक्स फ्री हुई ‘द साबरमती रिपोर्ट’

बता दें कि देश के कई राज्यों की सरकारों ने गोधरा कांड पर बनी फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को टैक्स फ्री कर दिया है। छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और यूपी में फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया है। हाल ही में ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की देश के गृह मंत्री ने फिल्म की स्टार कास्ट से मुलाकात की थी। विक्रांत मैसी ने मीटिंग की तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम पर शेयर भी की हैं।

”इतिहास का आईना कभी झूठ नहीं बोलता”

विक्रांत ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ तस्वीरें शेयर कर कैप्शन में लिखा- ‘माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी, आपके दयालु शब्दों और मान्यता के लिए धन्यवाद. ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की आपकी सराहना और सच्चाई को उजागर करने के इसके साहसिक प्रयास, जैसा कि फिल्म हाइलाइट करती है- इतिहास का आईना कभी झूठ नहीं बोलता, हमारी टीम को अनकही कहानियों पर रोशनी डालना जारी रखने के लिए इंस्पायर करता है.’

क्या है गोधरा कांड
27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन से रवाना हुई साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में उन्मादी भीड़ ने आग लगा दी थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। अहमदाबाद की ओर जा रही साबरमती एक्सप्रेस अभी गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक दी थी, और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया था। ट्रेन में सवार लोग हिन्दू तीर्थयात्री थे और अयोध्या से लौट रहे थे। इस घटना के बाद गुजरात के कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। हालात पर काबू पाने के लिए सेना को बुलाना पड़ा था। इस केस में 1,500 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ़्तार किए गए लोगों पर POTA लगाया गया।

-चित्र साभार।

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