अमित सिंघल : हरियाणा BJP..2019 में 36.5% वोट इस बार बढ़कर 40%.. जम्मू कश्मीर सर्वाधिक वोट शेयर 25.64% – भाजपा

अगर आंकड़ों को देखे तो हरयाणा में 2019 विधानसभा चुनावो में भाजपा को 36.5% वोट मिले थे, जो इस बार बढ़कर 40% हो गया है। अर्थात, भाजपा के विरुद्ध विरोधी लहर (anti-incumbency) तो थी ही नहीं, बल्कि समर्थन में (pro-incumbency) वोट पड़ा है।

फिर भी, कांग्रेस का वोट शेयर भाजपा की तुलना में केवल 0.85% कम था। कांग्रेस की तुलना में भाजपा को केवल 1,18,198 वोट अधिक मिले है।

मेवात के एक चुनाव क्षेत्र – फिरोजपुर झिरका – के कांग्रेस कैंडिडेट मम्मन खान, को कहीं अधिक 1,30,497 वोट मिल गए थे।

यहाँ तक कि मेवात के 4 निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस को कुल 3,87,537 वोट मिले और इस दल के सभी कैंडिडेट – मोहम्मद इजराइल, मम्मन खान, आफताब अहमद, एवं मोहम्मद इल्यास – भारी मतों के अंतर से चुनाव जीत गए। जबकि भाजपा को केवल 100541 वोट से संतोष करना पड़ा; नूह में भाजपा कैंडिडेट तीसरे स्थान पर रह गया।

अगर हम मेवात क्षेत्र के कांग्रेस एवं भाजपा वोट निकाल दे, तो कांग्रेस को 50.43 लाख और भाजपा को 54.60 लाख वोट मिले। अर्थात भाजपा को कांग्रेस की तुलना में लगभग 4.20 लाख वोट अधिक मिले।

अब आते है जम्मू-कश्मीर के वोट शेयर पर।

आपको जानकार आश्चर्य होगा कि सबसे अधिक वोट 14,62,225 एवं वोट शेयर – 25.64% – भाजपा को मिला। अगला स्थान उमर अब्दुल्ला की जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस था जिसे 13,36,147 वोट एवं 23.43% वोट शेयर से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस को केवल 6.83 लाख वोट एवं 12% वोट शेयर मिला।

लेकिन भाजपा को सरकार बनाने का अवसर नहीं मिलेगा। क्योकि राहुल-उमर (दोनों राजसी परिवार से है) का गठबंधन है। यह भी स्पष्ट है कि जम्मू क्षेत्र में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है; लेकिन कश्मीर क्षेत्र में एक भी सीट नहीं मिली है।

मैंने इस वर्ष लोक सभा चुनाव के बाद लिखा था कि जहाँ असम में कांग्रेस को 74.78 लाख वोट मिले, वहीँ भाजपा को कुछ कम, केवल 74.67 लाख वोट से संतोष करना पड़ा। अगर भाजपा का एक समूह भी किसी बात से रुष्ट होकर असम में वोट देने नहीं निकलता, या कांग्रेस को वोट दे देता, तो स्थिति पलट जाती।

तभी मुख्यमंत्री हिमंत शर्मा ने कहा था कि कांग्रेस केवल एक समाज की पार्टी बनकर रह गयी है (शर्मा जी ने सीधा नाम लिया था; मैंने समाज लिखा है)।

वहीं यूपी में भाजपा को सपा-कांग्रेस को 3.78 करोड़ वोट मिले थे, जबकि भाजपा-अपना दल-RLD को 3.8 करोड़ वोट मिले।

परिणाम सबको पता है।

असम, हरयाणा, जम्मू-कश्मीर एवं यूपी का वोट बतला रहा है कि अगले समाज ने यह सोच लिया है कि कुछ भी हो जाए, उसे राहुल एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को वोट देना है।

विपक्ष की विजय कभी भी भारतीय संस्कृति की विजय नहीं हो सकती। क्योकि उस विजय में सबका साथ, सबका विकास का स्पष्ट उद्घोष निहित नहीं है।

यह आपको सोचना है कि क्या आप जाति के नाम पर या किसी अन्य बात पर रुष्ट होकर अपना वोट इधर-उधर दे देंगे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *