राजीव मिश्रा : कई बार दिल्ली में भीड़ जुटाई गई है, पर उन्हें लाशें नहीं मिल पाई हैं जिनके बहाने से..

वामपंथी एक टेम्पलेट उठाते हैं, उसको परफेक्ट करते हैं और पूरी दुनिया में प्रयोग करते हैं. एक जैसे नैरेटिव बनाते हैं, एक जैसे आंदोलन उठाते हैं, एक जैसे बहाने से भीड़ जुटाते हैं और हिंसक आंदोलनों द्वारा सरकारें पलट देते हैं…
यह वाला मॉडल अरब स्प्रिंग से निकला और अब श्रीलंका और बांग्लादेश में प्रयोग किया गया. भारत पिछले दस वर्षों में इसके कितने करीब से गुजरा है, समझा जा सकता है.

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पिछले वर्षों में कई बार दिल्ली में भीड़ जुटाई गई है, पर उन्हें लाशें नहीं मिल पाई हैं जिनके बहाने से अपना प्लान एक्जिक्यूट कर पाते. और बहाना मिलना कठिन नहीं है. सुप्रीम कोर्ट कोई भी एक ऑर्डर निकालेगा, और उसके विरोध में दिल्ली में भीड़ जुट जायेगी. भीड़ कोई भी जुटे, उसके पीछे का हिंसक तंत्र पहले से फिक्स है. आप यहां वाह वाह कर रहे होंगे कि सुप्रीम कोर्ट एकाएक कितना न्यायप्रिय हो गया है… उधर उनके छिड़के पेट्रोल पर तीली लग जायेगी.

ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है कि दिल्ली में भीड़ को जुटने से पहले रोका जाए. क्योंकि हर भीड़ के पीछे खड़े होने को हत्यारे पहले से ही तैयार हैं.

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