सुरेंद्र किशोर : यदि कोई आर.एस.एस.वाला प्रधान मंत्री तक बन कर सरकार चला सकता है,तो…

यदि कोई आर.एस.एस.वाला प्रधान मंत्री तक बन कर सरकार चला सकता है,तो कोई सरकारी कर्मी, आर.एस.एस.की गतिविधियों में शामिल क्यों नहीं हो सकता ?
क्योंकि आर.एस.एस.प्रतिबंधित संगठन तो है नहीं।

आर.एस.एस.के कार्यक्रमों में अब
सरकारी कर्मी शामिल हो सकते हैं।
क्योंकि सन 1966 में इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में लगे प्रतिबंध को मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने हटा दिया है।
प्रधान मंत्री इंदिरा गंांधी आपातकाल में यह कानून बनवाना भूल गईं थीं कि आर.एस.एस.वालों को चुनाव लड़ने से वंचित किया जाता हैै।
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स्वाभाविक ही है कि कुछ लोग मोदी सरकार के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।चुनौती देने का उनका अधिकार है।
पर,सवाल है कि कोर्ट उस पर कैसा रुख अपनाएगा ?
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सन 1966 के प्रतिबंध के बावजूद आर.एस.एस.से जुड़े दो नेता(अटल जी और मोदी जी)प्रधान मंत्री बने।यानी संघी व्यक्ति प्रधान मंत्री तो बन सकते हैं ,पर सरकारी कर्मचारी हैं तो वे आर.एस.एस.के कार्यक्रमों में शमिल नहीं हो सकते।
कांग्रेस सरकार का यही ‘‘न्याय’’ था।
यदि यह मामला जब कोर्ट में ,संभवतः सुप्रीम कोर्ट में जाएगा तो देखना होगा कि कोर्ट का न्याय, कांग्रेसी न्याय से मिलता -जुलता होगा या कुछ और होगा।
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वैसे एक बड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ऐसा न्याय कर चुका है जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी।
अभी प्रावधान यह है कि विचाराधीन कैदी चुनाव तो लड़ सकता है,किंतु वह वोट नहीं डाल सकता।
दोहरे मापदंड वाला यह मामला कुछ साल पहले जब सुप्रीम कोर्ट में गया तो सबसे बडी़ अदालत ने कहा कि यह दोहरा मापदंड जारी रहेगा।
यह कैसा लगा आपको ?

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