डॉ. पवन विजय : वामियों की ट्रिक..65 लाख की डकैती.. लेकिन इस्कॉन का भगवद्गीता यथास्वरूप अधिक पीछे नहीं है

2014 में एक चैनल पर हम पैनलिस्ट थे, विषय हिंदी की दुर्दशा को लेकर था। प्रस्तोता महोदय ने मुझसे एक सवाल किया कि हैरी पॉटर की सौ मिलियन प्रतियां बिक गईं लेकिन हिंदी के लेखकों की सौ प्रतियां भी बिकने में हाय दैय्या मच जाती है। हिंदी के लेखक पैसा देकर किताब छपवाते हैं और फिर उसे बांटते हैं, उनकी कोई हैसियत ही नहीं अंग्रेजी के लेखकों के सामने।

मैंने उनसे पूछा कि आपने 65 लाख की डकैती पढ़ी है, जवाब मिला नहीं। फिर मैंने कहा आपने हैरी पॉटर भी पूरी नहीं पढ़ी होगी, अंग्रेजपरस्ती के फैशन दिखाने के लिए किताब शेल्फ में भले आ गई होगी कहिए तो मैं बीच से कहानी की पूछताछ कर लूं, वह यू नो यू नो वाली भाषा बोलने लगे।

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हिंदी पट्टी से गए हुए नए लड़के सबसे पहले हिंदी लेखन खारिज करते हैं । ऐसा अनुमान है कि बाइबल विश्व में सबसे ज्यादा बिकी, एक तो ईसाई जनसंख्या का ज्यादा होना और दूसरे मिशनरी का समर्पण भाव इस बिकवाली में मददगार रहा लेकिन इस्कॉन का भगवद्गीता यथास्वरूप अधिक पीछे नहीं है। आंकड़ों के हिसाब से यह तीसरे स्थान पर है और आगे पहले स्थान पर आने की प्रबल संभावना है।

हैरी पॉटर की 120 मिलियन प्रति बिकी है, अल्केमिस्ट की 150 मिलियन प्रति बिकी है, वहीं 65 लाख की डकैती की 250 मिलियन प्रति बिकी है। नए लड़के देवकीनन्दन खत्री से लेकर वाया गुलशन नंदा, ओम प्रकाश शर्मा, सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिंदी का लेखक मानते ही नहीं, उनके लिए ई एल जेम्स तो लेखक हैं पर वेद प्रकाश शर्मा लेखक नहीं हैं।

खैर राजेंद्र यादव जैसे अश्लील लेखक हिंदी साहित्य के पुरोधा हो सकते हैं लेकिन सुरेन्द्र मोहन पाठक जैसे बेस्ट सेलर और गुलशन नंदा जैसे उपन्यासकार जिनके पच्चीस के करीब उपन्यासों पर फिल्म बनी, साहित्यकार नहीं हो सकते।

    (हिंदी पर चर्चा की दस साल पुरानी तस्वीर)

पल्प लेखन के नाम पर हिंदी का इतना बड़ा नुकसान उन लोगों द्वारा किया गया जो हिंदी के ठेकेदार थे, यह ठेकेदार आज भी मंच की कविता से लेकर फेसबुक पर सैकड़ों लिखे जाने वाले लेखों को साहित्य नहीं मानते।

एजेंडा साहित्य को हिंदी साहित्य मानने वाले राष्ट्रवादियों से विनम्र अनुरोध है कि वह अपने स्वर वामपंथियों के लिए तीखे रखें, अपना यदि कहीं कमजोर भी दिख रहा है तो दृष्टि को ठीक करें साथ ही कमजोर का हाथ पकड़े, उसे सशक्त करें।

आखिर में एक बात और, दो चार दस के उदाहरण से समग्र को महान बता देना या गाली देना वामपंथियों की ट्रिक है। इसमें न फंसे तो बेहतर है, दुनिया में एक ही लेखक ऐसा है जिसकी लिखी चार लाइन को सिद्ध करने वाले को सीधे पीएचडी की डिग्री विदेश का श्रेष्ठ विश्वविद्यालय प्रदान करता है, और वह विद्वान भारत के दक्षिण भाग का एक युवा था जिसकी वजह से आज वैज्ञानिक सुपर स्ट्रिंग सिद्धांत को इंवॉल्व कर रहे हैं। कोई कहेगा कि गणित को साहित्य कैसे कहा जा सकता है तो हैरी पॉटर जैस भुतहे परेतहे विषय या फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे जैसे शारीरिक व्यायाम कथाओं को साहित्य माना जा सकता है तो गणित तो समस्त साहित्य की रानी है।

औपनिवेशिक हीनता बोध से बाहर आने की आवश्यकता है।हम दूसरों की उपलब्धियां स्वीकारें, उनकी प्रशंसा करें पर यह तो नहीं कि अपने पास जो है उसे निम्न साबित करने लगें।

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