कारगिल युद्ध में भारत की जीत कांग्रेस पचा नहीं पाई..2004 से 2009 तक कारगिल विजय दिवस पर लगा दिया था बैन…

अपने पहले पांच साल के कार्यकाल के दौरान यूपीए सरकार ने कारगिल विजय दिवस पर उत्सव नहीं बल्कि शोक मनाया। कांग्रेस ने पाकिस्तान की सेना से हुए युद्ध को कभी उसने देश का युद्ध माना ही नहीं, सेना के बलिदान को स्वीकारा ही नहीं। उसने कारगिल के युद्ध को भाजपा का युद्ध माना। इसलिए उसने कारगिल विजय दिवस नहीं मनाया।


सच तो यह भी है कि भाजपा के शासन में पाकिस्तान पर 2 माह युद्ध के बाद भारत की इस बड़ी जीत को कांग्रेस पचा ही नहीं पायी थी। यही कारण है कि इतिहास से क्रांतिकारियों का योगदान हटाने के बाद देश की सेना के एक हिस्से  मिलिट्री हिस्ट्री डिवीजन को ही समाप्त कर दिया गया था।

22 वर्ष पूर्व 1999 में कारगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों के द्वारा कब्जा जमाने के बाद भारतीय सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया था। भारत-पाकिस्तान के बीच 8 मई, 1999 से शुरू होकर यह युद्ध करीब दो महीने तक चले युद्ध में 527 जवानों ने अपना बलिदान दिया था और 1300 से अधिक जवान घायल हुए थे। संपूर्ण भारत  वीर सपूतों के बलिदान को नमन करता है और इसी परिप्रेक्ष्य में 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा लेकिन कांग्रेस पार्टी और उनके नेता वीर शहीदों को सम्मान नहीं देते, और न ही सेना की इस उपलब्धि पर गर्व करते है।

सो 2004 में सोनिया गांधी की कांग्रेस के नेतृत्व में बनी यूपीए सरकार ने कारगिल विजय दिवस मनाने पर रोक लगा दी। यूपीए सरकार ने पांच साल तक करगिल विजय दिवस मनाया ही नहीं। आश्चर्य की बात थी  कि कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा था कि कारगिल की लड़ाई भाजपा की लड़ाई थी, इसलिए इसे मनाया नहीं जाना चाहिए। एक प्रकार से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इस बयान का खंडन न करके सेना का अपमान किया था।

सर्जिकल स्ट्राइक सवाल उठाने वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2004 में सत्ता में आते ही कारगिल युद्ध के नायकों को सम्मान देने से इनकार कर दिया और जब कांग्रेस ने 2004 से 2009 तक शहीदों को याद नहीं करने पर बीजेपी सांसद राजीव चंद्रशेखर ने वर्ष 2009 में इस मुद्दे को संसद में उठाया।

राजीव चंदशेखर ने राज्य सभा में इस मुद्दे को उठाते हुए तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी को लिखे पत्र में कहा था कि मैं 26 जुलाई, करगिल में दुश्मनों पर हमारी सेना की जीत की 10 वीं वर्षगांठ पर माननीय सदस्यों का ध्यान आकर्षित करता हूं। एक भारतीय के तौर पर इन वीर जवानों के बलिदान और कर्तव्य को याद रखना हमारा कर्तव्य है। लगातार कई पत्र लिखने के बाद यूपीए सरकार कारगिल विजय दिवस मनाने पर राजी हुई।

कांग्रेस का एक vdo भी तब सामने आया था, जिसमें कहा गया था कि , ”कारगिल युद्ध बीजेपी की लड़ाई थी, इस युद्ध से देश का कुछ लेना देना नहीं था।”

सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी यही स्थिति थी। उस वक़्त अन्य कांग्रेस के नेताओं के साथ सैम पित्रोदा ने कहा था कि “, ‘मैं इस बारे में कुछ अधिक जानना चाहता हूं क्‍योंकि मैंने न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स समेत अन्‍य अखबारों में कुछ रिपोर्ट पढ़ी हैं। क्‍या हमने सच में हमला किया? क्‍या हमने सच में 300 आतंकियों को मारा?’

कांग्रेस हमेशा से सेना के जवानों के शौर्य को लेकर नकारात्मक विचारों से घिरी रही है।

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