विनय कुमार : न्यूक्लियर विस्फोट क्यों जरूरी? अजित डोभाल के रोंगटे खड़े करने वाले भाषण के रोमांचक अंश
जब मई 2022 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दुबई में एक भाषण के दौरान परमाणु विस्फोटों को आवश्यक बताया था।
न्यूक्लियर विस्फोट क्यों जरूरी? अजित डोभाल का वो भाषण जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं- आप भी पढ़ें कुछ रोमांचक अंश।

भारत के न्यूक्लियर टेस्ट को 26 साल बीत चुके हैं। जबसे भारत ने यह टेस्ट किया है, तभी से हर दिन दुनिया में भारत की छवि बदलती गई है। यह बात अलग है कि 1998 से 2014 तक यह गति बहुत शिथिल थी, अब कुछ तेज हुई है। न्यूक्लियर टेस्ट पर अटल जी ने अपने शब्दों में इसकी जरूरत बताई थी। और भी लोगों ने बहुत कुछ कहा है लेकिन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का इस बारे में क्या कहना है? इसको शायद कम लोग ही जानते हैं। भारत के न्यूक्लियर टेस्ट की आवश्यकता पर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने एक भाषण दिया था। उसी भाषण के अंश कई पोर्टल और वेबसाइट्स पर प्रकाशित किए गए हैं। ऐसे ही एक पोर्टल पर प्रकाशित अजित डोभाल के उसी भाषण के अंशः
भारत के साथ धर्म था, भारत के साथ सत्य था भारत के साथ न्याय था, लेकिन भारत के साथ एक चीज नहीं थी, वो थी शक्ति। इसी शक्ति के अभाव में हिंदुकुश से सिकुड़ता हुआ भारत आज यहां तक पहुंच गया है। एक बात और, विदेशी हमलावरों आक्रांताओं ने क्या किया या नहीं किया वो सब ठीक लेकिन इसके साथ कड़वी सच्चाई यह भी है कि भारत के लोगों ने भारत का साथ नहीं दिया।
अजित डोभाल कहते हैं, मैं आपको सत्य का दूसरा सिद्धांत बताता हूं। मुझे नहीं मालूम कि यह सिद्धांत मुझे बताना चाहिए या नहीं। मुझे यह भी नहीं मालूम कि यह सही है या नहीं। लेकिन क्योंकि मैं इसको मानता हूं और मुझे मालूम है कि इसके बारे में कई लोग, जिनके उच्च नैतिक आदर्श हैं, शायद न भी समझते हों। लेकिन यह मेरा विचार है। चाहें तो इस पर विचार करें। सब नहीं तो कुछ न कुछ लोगों को इस विचार से सोचने की और कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी।
इतिहास दुनिया की सबसे बड़ी अदालत है। इससे बड़ी अदालत कोई नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ, हाई कोर्ट में क्या हुआ, लड़ाई के मैदान में क्या हुआ, इलेक्शन्स में क्या हुआ, ये सब बातें आती हैं और चली जाती हैं। और बाद में रह जाता है केवल इतिहास।
और इतिहास का निर्णय हमेशा उसके पक्ष में गया है, जो शक्तिशाली था जो विजेता था। इसने कभी उसका साथ नहीं दिया, जो न्याय के साथ था। जो सही था। अगर ऐसा होता तो दिल्ली में बाबर रोड है, लेकिन राणा सांगा रोड नहीं है। क्योंकि बाबर आया, विजयी हुआ और राणा सांगा हार गया।
पोखरण-2 कोई आत्मश्लाघा के लिए नहीं था। कोई पुरुषार्थ के प्रकटीकरण के लिए नहीं था। लेकिन हमारी नीति है, और मैं समझता हूं कि यह देश की नीति है कि न्यूनतम अवरोध (डेटरेंट) होना चाहिए। वह विश्वसनीय भी होना चाहिए। इसलिए परीक्षण का फैसला किया गया था। क्योंकि शक्तिशाली शासक ही देश को शक्तिशाली बनाता है। भारत आज शक्तिशाली देशों में शामिल है। जिसमे परमाणु हथियारों का बहुत बड़ा योगदान है। समय आने पर हम उन हथियारों का बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत के दुश्मनों को जान लेना चाहिए कि भारत पहले परमाणु हथियारों का प्रयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। क्योंकि हमने 2020 में ही अपनी परमाणु डाक्ट्रिन संशोधित कर दी है। जिसमे कहा गया था कि भारत पहले परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेगा। लेकिन दुनिया के बदलते हालात को देखते हुए भारत को जहाँ से खतरा महसूस होगा भारत अपने परमाणु हथियारों का खुलकर प्रयोग करेगा।
अजित डोभाल ने दुबई में यह बात कही थी। जिसमे पाकिस्तान के अधिकारियों का दल अपने चीनी समकक्षों के साथ मौजूद था।
