ओम लवानिया : भारतीयता को नष्ट करने में बॉलीवुड का 100 प्रतिशत योगदान…

आँटी अपनी नातिन के शो पर उसे बिन ब्याही माँ बनने की सीख दे रही है। वाक़ई इसे ही संस्कृति बचना कहते है। मीडिया अटेंशन के ख़ातिर ऐसी मीडिया बाईट देना आसान है। बॉलीवुड अपने अंदर बदलाव करे, 10 प्रतिशत वालों को दरकिनार करके 90 फीसदी वालों को आगे करो….फिर देखिए, किसी से अनुरोध करने की जरूरत न पड़ेगी।

सारा बॉलीवुड ड्रग्स नहीं लेता है, सिर्फ 10 प्रतिशत है। बॉयकॉट हैशटैग को रोकिए….योगी जी के समक्ष सुनील अन्ना ने गुहार लगाई है।

सुनील अन्ना से 100 प्रतिशत सहमति है कि सभी ड्रग्स वाले न है। साथ ही माना आप नहीं लेते है।

लेकिन…लेकिन! अन्ना सिर्फ़ 10 फीसदी वाले ही पूरे बॉलीवुड तंत्र को चला रहे है। जितने भी फेस्टिव वीकेंड होते है 10 टका वाले ही दबंगई दिखलाते है। जरा 2023 का कैलेंडर देखिए।

26 जनवरी, 15 अगस्त, रक्षा बंधन, दीवाली, ईद और क्रिसमस के हॉलिडे वीकेंड पर इन 10 प्रतिशत वालों के सिवाय किसकी फ़िल्म रिलीज स्लॉट में है?

बाक़ी बचे 90 वालों में से कोई इन 10 फीसदी के सामने क्लेश को खड़ा हो जाए, तो उसको स्क्रीन काउंट भी न मिलते है। बल्कि उसकी फ़िल्म को सामने से हटवा देते है। डिस्ट्रीब्यूशन का होल्ड भी इसी में निहित हो चला है।

दरअसल, योगीजी नोएडा फ़िल्म सिटी के वास्ते बी-टाउन के लोगों से चर्चा कर रहे थे। तभी सुनील अन्ना ने बॉयकॉट हैश टैग की बात रखी।

विपक्षी सुनील अन्ना के वक्तव्य से नौ नौ बांस उछले जा रहे है कि इसे कहते है बेबाक…मुखरता।

योगी जी, फ़िल्म सिटी में बॉलीवुडिया के ड्रग्स वर्ग को छोड़कर बाक़ी लोगों को ऑफर दीजिए, आपकी मीटिंग में बैठने वाले अधिकतर फुस कारतूस थे। उनके बस में कुछ न रहा है।

अन्ना बॉयकॉट हैशटैग को हटाने के लिए पीएम से अपील करवा रहे है। तनिक अपने कॉलर आई मीन बॉलीवुड में देखें, कि आखिर यशराज की नई कृत को इतने कट्स क्यों मिले है। इसकी समीक्षा करें, सबकुछ समझ आ जाएगा।

दूसरा आपने बॉर्डर फ़िल्म का जिक्र किया था, दत्ता साहब को पूछिए… उन्हें ऐसे कंटेंट के लिए कितना थ्रेट मिला था। आखिर किसने दिया और क्यों?

बॉलीवुड ने भारतीयता को सबके समक्ष रखा…

सिर्फ़ 60 के दशक तक, उसके बाद एजेंडा और नैरेटिव आ गया। भारतीयता को नष्ट करने में बॉलीवुड का 100 प्रतिशत योगदान है। दर्शक हिंदी कंटेंट को देखते देखते, नफरत क्यों करने लगे और उसके विकल्प में साउथ के कंटेंट को तवज्जो देने लग गए है।

आँटी अपनी नातिन के शो पर उसे बिन ब्याही माँ बनने की सीख दे रही है। वाक़ई इसे ही संस्कृति बचना कहते है। मीडिया अटेंशन के ख़ातिर ऐसी मीडिया बाईट देना आसान है। बॉलीवुड अपने अंदर बदलाव करे, 10 प्रतिशत वालों को दरकिनार करके 90 फीसदी वालों को आगे करो….फिर देखिए, किसी से अनुरोध करने की जरूरत न पड़ेगी।

-ओम लवानिया “प्रोफेसर लेक्चर”

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