मनीष शर्मा : रोहित शर्मा-हार्दिक पंड्या.. Manager नहीं Leader बनिए
Management और Leadership की जब भी बात होती है… तो यह प्रश्न उठता है कि एक Manager और Leader में क्या फर्क होता है.
हममे से कई लोग Managers हैं, Senior Managers हैं, या उससे भी ऊंचे पद पर होंगे…. लेकिन क्या हम Leaders हैं?
सच्चाई यह है कि अधिकांश लोग Manager Mindset के ही होते हैं… उन्हें कोई Task दे दीजिये… वह task कर देंगे या अपनी Reporting Team से करवा देंगे….. काम अच्छा करेंगे, कोई शिकायत भी नहीं होगी…. लेकिन फिर भी वह सिर्फ Managers ही कहलाएंगे, Leader नहीं.
Leader होता कौन है?
यह वीडियो देखिये…. रोहित शर्मा ने हार्दिक पांड्या को गले लगा रखा है… वह उन्हें सांत्वना भी दे रहे हैं… और कहीं ना कहीं उन्हें आश्वासन भी दे रहे हैं कि पिछले दिनों जो हुआ सो हुआ… सब भूल जाओ और आगे बढ़ो. वहीं हार्दिक पांड्या फूट पड़े हैं… शायद पिछले 6-8 महीने का तिरस्कार, गलतफहमी, पारिवारिक दुःख और अन्य वजहें उनके मन में दबी होंगी.. वह बाहर फूट पड़ी.
लेकिन क्या इंसान ऐसे ही किसी के सामने रोता है?? नहीं.
रोहित शर्मा ने Team का माहौल ऐसा बनाया है जहाँ हर खिलाडी उनसे जुड़ा महसूस करता है… वह हंसी मज़ाक भी करते हैं.. वह अपने साथियों के साथ मस्ती मज़ाक की reels भी बनाते हैं… नाचते भी हैं… और अगर कोई Perform नहीं करता तो खुलेआम गुस्सा भी दिखाते हैं.
वहीं जब खेल की बात होती है तो रोहित Selfless खेलते हैं… जैसे सेना में अफसर अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करता है, सबसे आगे रहता है.. पहला फायर करता है झेलता है.. वैसे ही रोहित पहली ही बॉल से आक्रमण करते हैं.
यह Connect किसी Manager का हो ही नहीं सकता….. यह सिर्फ एक Leader ही कर सकता है. रोहित की इन बातों से उनकी Team Members Inspire होते हैं.. अच्छा करते हैं.. उनका Morale Boost होता है… वह अपने Comfort Zone से बाहर निकलते हैं.. वहीं उन्हें हमेशा यह भी पता रहता है कि अगर कोई काण्ड हुआ तो रोहित उन्हें Defend करेंगे.
यही फर्क होता है एक Manager और एक Leader में.
आज रोहित की Leadership से लोग inspire हो रहे हैं… उनकी अच्छी बातों को आत्मसात कर रहे हैं.
भारत में क्रिकेट की बात करें तो Leadership को कपिल देव ने दिखाया था… नये पुराने खिलाड़ियों को जोड़ कर team बनाई और उसे World कप जिताया… वहाँ 175 की पारी और Richards का कैच कौन भूल सकता है… इन दो घटनाओं ने team को Inspire किया था
उसके बाद गांगुली आये…. वह भी अच्छे leader रहे…. धोनी भी बेहतरीन leader थे…. वहीं सचिन महानतम खिलाडी रहे.. लेकिन वह एक अच्छे Leader नहीं बन पाए.
इस लेख में क्रिकेट का मात्र उदाहरण है… यह आप किसी भी क्षेत्र या Domain में देख सकते हैं, कर सकते हैं.
Manager मत बनिए, Leader बनिए।
