..और कितनी स्वतंत्रता चाहिए..? विपक्ष का गिरता स्तर…
संसद को बाधित करने का एक ही उद्देश्य है किसी भी तरह से केंद्र सरकार द्वारा लाये जा रहे बिलों को रोकना, शेष संसद में घुसपैठ करने वालों का किस पार्टी से कनेक्शन है यह सामने आ रहा है।
टीएनसी सांसद कल्याण बनर्जी भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का मजाक उड़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें बढ़ती उम्र के साथ होने वाली रीड की हड्डी की बीमारी सर्वाइकल स्पेंड्लोसिस की समस्या है, जिससे कारण गर्दन और कंधे से रीड की हड्डी थोड़ी झुकने लगती हैं
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प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी इस मजाक का वीडियो बना रहे हैं।
बाक़ी जो हंस रहे हैं, वे लोग भी भविष्य में मंत्री बनना चाहते हैं । अब लोगों को तय करना है कि क्या भारत की सत्ता कैसे लोगों को सौंपनी है ?
भारत की जनता गिरते हुए विपक्ष का स्तर देख रही है जो शोर मचाते हैं कि देश मे बोलने की स्वतंत्रता नहीं है..? सरेआम उपराष्ट्रपति का मजाक बनाया जा रहा है
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कितनी स्वतंत्रता चाहिए..!!
सरकार का उजला पक्ष तो सभी ओर दिखाई दे रहा है लेकिन इसके साथ ही विपक्षी दलों के गिरने का स्तर 2024 में ऐसे ही आमजनों को हंसने के अवसर देगा।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर इस पर कहते हैं – ‘‘अनुशासन ही देश को महान बनाता है’’
जो सरकारी दल और पीठासीन पदाधिकारीगण मिलकर संसद सहित देश की विधायिकाओं में अनुशासन नहीं ला सकते, वे देश में भी अनुशासन नहीं ला सकते।
‘‘अनुशासन ही देश को महान बनाता है।’’
–भले यह नारा इमरजेंसी में तानाशाहों ने अपनी ‘‘तानाशाही’’ छिपाने के लिए उछाला था,पर बात तो सही है,यदि मंशा सही हो।
उसी तरह इमरजेंसी वाली परिवार नियोजन और वृक्षारोपण वाली बात भी आज के लिए भी सही है।
विनोबा भावे ने तो आपातकाल को अनुशासन पर्व कह दिया था।
हालांकि तब विनोबा के एक भाषण पर भी सेंसर की कैंची चल गयी थी।
सामान्य दिनों में भी अनुशासन की बात प्रासंगिक है।
