डॉ. भूपेन्द्र सिंह : ट्रेनों पर फ्रॉड नैरेटिव बनाने की छूट इन्हें नहीं दी जा सकती…

कांग्रेस के राज में रेलवे स्टेशन का मतलब होता था कूड़ा, कचरा, बदबू, सीलन। पूरा स्टेशन बजबजाता रहता था। जनरल बोगी के सीट में इन लोगों में गद्दे तक नहीं डलवाया था।
न इनके दिमाग़ में यह था कि रेलवे लाइन बढ़ाया जाय, इलेक्ट्रिफ़िकेशन किया जाय, नये तरह के ट्रेन उतारे जायँ। 3rd AC तक में केवल अपर मिडिल क्लास घुसने की हिम्मत कर पाता था।


भाजपा सरकार ने रेलवे ट्रैक बिछाये हैं, डबलिंग किया है, इलेक्ट्रोफ़िकेशन किया है, नये ट्रेन उतारे हैं। रफ़्तार बढ़ाई है।
हाँ अभी भी जनरल बोगी में लोग पशुओं की तरह यात्रा कर रहे हैं। अभी भी लंबी वेटिंग हैं पर काम तेज़ी से हो रहा है। मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास भी अब 3rd AC में दिखाई पड़ता है। स्टेशन पर साफ़ सफ़ाई भी एक प्राथमिकता है।
कांग्रेस ने इतना बड़ा गड्ढा खोदा है कि उसे भरने में टाइम लगेगा। लोग कह सकते हैं कि क्या दस साल कम पड़ गये? बिलकुल कम पड़ गये हैं। जब बात होगी तो तथ्य पर होगी, वीडियो दिखा दिखाकर भावनात्मक दोहन करने से बात नहीं बनेगा।
कांग्रेस यह बताये कि उसने अपने कार्यकाल में प्रतिवर्ष कितने किलोमीटर नयी पटरी बिछाई?
कांग्रेस के अपने कार्यकाल में कितने किलोमीटर प्रतिवर्ष की दर से पटरियों का विद्युतिकरण किया?
कांग्रेस यह बताये कि उसने अपने कार्यकाल में कितने नये रिसर्च करके ट्रेन लाँच किया?
कांग्रेस यह भी बताये कि उनके समय में स्टेशन इतने गंदे क्यों होते थे?
वीडियो दिखा दिखा कर ये सब फ्रॉड नैरेटिव बनाने की छूट इन्हें नहीं दी जा सकती।
ये वहीं फ्रॉड हैं जो पहले मुंबई लोकल के भीड़ को शहर की वाइब बताकर उसको सामान्य बताते थे और आज उसे वाइब के बजाय दुर्दशा बता रहे है।
इन कांग्रेसियों को तथ्यों के साथ हिसाब देना चाहिए। भावनात्मक बातें नहीं चलेंगी।

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