देवांशु झा : यह तो आपका मौलिक अधिकार है! किन्तु यही मौलिक अधिकार उनसे पहले कहां था?

सुख जब मिलता है तब आदमी उसके पीछे का तप बिसरा देता है। वह भोगता है, भूल जाता है। आज बड़े-बड़े ज्ञानी और राष्ट्रवादी मोदी को गाली दे रहे हैं। मोदी के कार्यों की सूची तो मैं क्या दूंगा, केवल इतना कह सकता हूॅं कि उस व्यक्ति के राज में इस देश पर कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ। कश्मीर की छिटपुट घटनाओं और अत्यंत छोटे नगण्य हमलों को अपवाद मानता हूॅं। परन्तु आप ध्यान धरिये! 2014 से पहले का भारत। आए दिन इस देश के शहर दहलते रहते थे। हजारों मौतों के भयावह दृश्य हमारे लिए बहुत आम हुआ करते थे। उस व्यक्ति ने इस विकराल जनसंख्या वाले देश के भितरघातियों और पड़ोसी देशों के षड़यंत्रों के बीच भारत की जनता को सुरक्षित रखा। यह कोई साधारण उपलब्धि है!! ओह! मैं तो भूल ही गया था–यह तो आपका मौलिक अधिकार है! किन्तु यही मौलिक अधिकार उनसे पहले कहां था?

आज आप बड़के राष्ट्रभक्त हो गए! क्षण-क्षण उपहास करते हुए उस व्यक्ति को दिशानिर्देश दे रहे! एक चूक क्या हुई, आपका दंभ फफोले की तरह फट पड़ा! कृतघ्नता का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा? आप सलाह दीजिए। सुधार करवाइये सरकार! बड़े आदमी हैं। किन्तु जरा नम्र रहिए! आप इस जीवन में उस पुरुषार्थ का शतांश भी पा गए तो महान हो जाएंगे!

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