नितिन त्रिपाठी : बच्चों को इस लायक़ मत बनाइए कि वह भैया जी के स्वागत में माला लेकर खड़े..

एक व्यक्ति के पास बहुत शानदार कार थी. एक बच्चे ने उससे पूँछा यह कार कितने की ली? व्यक्ति ने बोला मेरे मित्र ने गिफ्ट की. बच्चा सोच में पड़ गया. व्यक्ति ने बोला मुझे पता है तुम सोच रहे होगे कि बड़े होकर मैं भी ऐसे मित्र बनाऊँ जो यह कार गिफ्ट कर सकें. बच्चे ने बोला मैं सोच रहा हूँ बड़े होकर ऐसा बन सकूँ जो मित्रों को ऐसी गाड़ियाँ गिफ्ट दे सकूँ.

यूपी में सामान्यतः गाँव देहात में ज़बरदस्त वीआईपी कल्चर है. नेता जी आयें या लेखपाल साहब, लाइन लग जाती है लोगों की उनके साथ फ़ोटो खिंचाने के लिए. शादी विवाह में तो उनके लिए अलग वीआईपी स्टाल लगता है, दूल्हे के परिवार वाले सामान्य भोजन खाते हैं. यह सब किस लिये? टोल टैक्स पर कभी सौ रुपया देना पड़ा तो नेता जी / भैया जी फ़ोन कर देंगे. सरकारी अस्पताल में सुबह से शाम तक लाइन में लग जब नंबर आये तो डॉक्टर दो मिनट के लिए देख ले, भैया जी फ़ोन कर देंगे.

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यह सब काम सौ दो सौ हज़ार रुपये में हो जाते हैं, फ़ुल प्रोफेशनल इज्जत के साथ, जहां सामने वाला सलाम भी ठोंकता है. इन सौ दो सौ हज़ार के लिए इज्जत की नीलामी क्यों लगानी?

बच्चों को इस लायक़ मत बनाइए कि वह भैया जी के स्वागत में माला लेकर खड़े हो सकें. उन्हें पढ़ा लिखा कर इस लायक़ बनाइए कि वह इज्जत के साथ जीवन व्यतीत करते हुवे टोल टैक्स पर टोल और अपोलो अस्पताल में पाँच सौ रुपया फ़ीस दे सकें.

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