सर्वेश तिवारी श्रीमुख : कका मुस्कुराए.. बोले, “शुक्र मनाओ कि भक्त हैं, चम…”

कल मुख्यमंत्री जी आये थे। अरे हमारे गोपालगंज में! कहने लगे, “हमसे दो बार गलती हुई है। हम इधर से उधर चले गए। पर भरोसा रखिये, हम अब कहीं नहीं जाएंगे।” बीस मिनट से चुपचाप भाषण सुन रही जनता उछल पड़ी। हो हो हो हो का शोर हो गया। मुख्यमंत्री जी भी जानते हैं कि कब कौन सा डायलॉग मारना है।

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सर्वेश तिवारी श्रीमुख

मेरे बगल में खड़े बुजुर्ग ने कहा, “जाने दीजिये! बच्चा और बुजुर्ग एक बराबर होते हैं। हो जाती है गलती कभी कभी… अब जब अपनी गलती को स्वीकार कर ही रहे हैं तो माफ किया जाय…” मुझे याद आया, साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त एक महान साहित्यकार ने कभी कहा था कि बच्चों से गलतियां हो जाती हैं। अब बच्चा और बुजुर्ग तो एक हैं ही, सो…


मुख्यमंत्री जी ने अपने भाई को टारगेट करते हुए कहा, ” उन्होंने कोई काम किया है जी? केवल नौ बच्चों को पैदा किये हैं। बताइये, भला इतने बच्चे कौन पैदा करता है?” एकाएक लगा जैसे कपिल शर्मा का शो चल रहा है। जनता फिर उछल पड़ी, होय-होय का होहकारा मचने लगा। नारे लगने लगे… पर मुझे उनकी यह बात नहीं रूची। मैंने कहा, “यह ठिक बात नहीं। यह स्तरहीन बात है।” तभी बगल में खड़े बुजुर्ग फिर मुझे टोक दिए। कहने लगे- अरे आप काहें सीरियस हो रहे हैं पण्डिजी? अरे वे मुख्यमंत्री जी के बड़े भाई हैं, और बड़े भाई भउजाई से तो थोड़ा सा मजाक चलता ही रहता है…
हमने मुस्कुराते हुए बुजुर्ग से पूछा- क्या बात है काका! आप तो पक्के वाले भक्त लग रहे हैं जी। पर किसके? बड़े साहब के या छोटे साहब के? कका मुस्कुराए। बोले, “शुक्र मनाओ कि भक्त हैं, चम…”
जनता हँस रही थी, मुख्यमंत्री जी भी हँस रहे थे। वे जानते हैं कि इस जिले में उनका कैंडिडेट मजबूत स्थिति में है। फिर मुख्यमंत्री जी विकास पर बोलने लगे। सड़क, बिजली, पानी, सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा… काम तो खैर किये ही हैं। जनता चुप हो गयी। बोर होने लगी। जैसे कह रही हो, विकास भी कोई बताने की बात होती है भला? वह तो होता ही रहता है। कुछ मजेदार बताइये… यह केवल यहीं की बात नहीं। आप पूरे देश के किसी भी बड़े नेता का भाषण सुन लीजिये, विकास की चर्चा पर तालियां नहीं बजतीं। ताली कभी भी मजाक पर बजती है, कटाक्ष पर बजती है। खैर…
मुख्यमंत्री जी फिर जनता का मूड भाँप गए। बोले, “जानते हैं जी! कमवा करते थे हम, आ कहता था सब कि हम कर रहे हैं। इसी लिए भगाए। आ हमलोग दो हजार पांचे से न साथ हैं जी। अब फिर साथ हैं। फिर बिकास करेंगे। खूब करेंगे… आपलोग निश्चिन्त रहिये आ वोट कीजिये।
जनता ने मन ही मन कहा, “वोट तो कर देंगे, पर निश्चिन्त…” मुख्यमंत्री जी ने फिर कहा- हम कह रहे हैं न! नहीं जाएंगे तो नहीं जाएंगे। आपलोग तनिक भी संदेह मत कीजिये। नहीं मतलब नहीं…
जनता हँस पड़ी। बगल में खड़े बुढऊ बोले- अच्छा चलो। अबकी का भागा-भागी माफ! आगे भागेंगे तो देखा जाएगा… भोट दिलाएगा।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज से लाइव

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