सुरेंद्र किशोर : इंदिरा गांधी की निजी संपत्ति.. सच क्या और झूठ क्या ?

इंदिरा गांधी की निजी संपत्ति
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सच क्या और झूठ क्या ?
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26 अप्रैल, 24 के दैनिक भास्कर के अनुसार
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इंदिरा गांधी की प्राॅपर्टी बचाने के लिए राजीव गांधी की सरकार ने विरासत टैक्स कानून खत्म किया।
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टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार छत्तीस गढ़ के पूर्व मुख्य मंत्री
भूपेश बघेल ने कहा कि प्रधान मंत्री झूठे हैं।उनको इतिहास का पता नहीं।
सच तो यह है कि इंदिरा गांधी ने 1970 में ही अपनी सारी संपत्ति सरकार को दान कर दी थी।
(ध्यान दीजिए सरकार को।)

अब आप 19 मई, 1985 के इलेस्टे्रटेड
वीकली आॅफ इंडिया (टाइम्स आॅफ इंडिया प्रकाशन समूह की साप्ताहिक पत्रिका–जिसका प्रकाशन अब बंद हो चुका है।)
में प्रकाशित इंदिरा गांधी के वसीयतनामे का संक्षिप्त विवरण पढ़िए।
‘‘……….आनन्द भवन (इलाहाबाद)मैंने जवाहरलाल नेहरू स्मारक फंड को दे दिया।
पिता जी के निजी पेपर्स नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को दे दिए।
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अपने गहने मैंने अपने पुत्र,पतोहू,पोती -पोतों को दिए।
मेहरौली (दिल्ली के पास) फार्म हाउस राजीव-सोनिया के बच्चों को मिलेगा।
मेरे शेयर्स, सिक्युरिटीज, यूनिट्स तीन पोते -पोती में बराबर बंटेंगे।
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मेरे पास जो गहने बचे हैं,वे प्रियंका के होंगे।
पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं, जो निबंधित हैं, प्रियंका को मिलेंगे।
देनदारी देने के बाद जो पैसे मेरे बैंक खातों में बचेंगे वे फिरोज वरुण के होंगे।
संजय की संपत्ति में मेरा जो शेयर है,वह फिरोज वरुण को जाएगा।’’

इस वसीयतनामे पर प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 4 मई 1981 को दस्तखत किया था।
गवाह बने थे
1.-एम.वी.राजन
2.-माखनलाल फोतेदार।
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इस वसीयतनाम का पूरा विवरण पढ़ने के लिए 19 मई 1985 का विकली पत्रिका पढ़िए जो पुस्तकालय में मिल सकती है।
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पुनश्चः
वसीयतनामे में इंदिरा गांधी ने वरुण के बारे में एक महत्वपूर्ण बात लिखी है–
‘‘मैं यह देखकर खुश हूं कि राजीव और सोनिया ,वरुण को उतना ही प्यार करते हैं जितना अपने बच्चों को।
मुझे पक्का भरोसा है कि जहां तक संभव होगा,वो हर तरह से वरुण के हितों की रक्षा करेंगे।’’

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