मनीष शर्मा : 2018 तक भारत मे करीब 75-80% खिलौने चीन के होते थे

अब भारत में चीन से import होने वाले Toys की संख्या 70% तक कम हो गई है…..2014 में हम 96 मिलियन USD के toys export करते थे… अब हम 400 मिलियन USD छूने वाले हैं.

यह एक ऐसी industry है, जिसमें लाखों लोगों को jobs मिली है…. यह ऐसी jobs हैं, जो कुछ सालों पहले चीन में थी… आज हमारे यहाँ हैं.

बाकि आपको।ये पढ़कर समझ आएगा कि सरकार ने Toy Industry को कैसे Revive किया हैं.

जब भी भारत मे manufacturing को बढ़ावा देने और चीन के प्रभुत्व को कम करने की बात होती है, तो एक बात हमेशा उठायी जाती है कि हमारे यहां खिलौने तक तो बनते नही, सारे चीन से import किये जाते हैं….

बात एकदम ठीक है…..हम खिलौने जैसी छोटी चीज तक तो बना नही पाते…..फिर ये मोबाइल फोन्स, Semiconductors, wafers, Electronics की बात करनी बेमानी हो जाती है।

अब सवाल है कि क्या भारत अब खिलौने बना रहा है? चीन पर हमारी निर्भरता कितनी कम या ज्यादा हुई है? क्या ‘आत्मनिर्भर भारत’ या ‘Vocal For Local’ एक चुनावी जुमला है, या जमीन पर कुछ हुआ भी है??

किसी भी क्षेत्र को बदलने के लिए Policy बनानी पड़ती है, भारत सरकार ने खिलौना Manufacturing को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले ये 4 कदम उठाए।
1. Import किये जाने वाले खिलौनों पर custom duty 20% से बढ़ाकर 60% की।
2. देसी खिलौना manufacturers को कई तरह की tax और compliance रियायतें दी. इसकी वजह से करीब 8366 माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज register हुए।
3. जनवरी 2021 से Toys Quality Control नीति लागू करना।
4. Toy Manufacturing में 100%FDI लागू किया।

इन कदमो के लागू होने के बाद से चीन से खिलौने का आयात काफी कम हो गया है, क्योंकि भारत में अब वही खिलौने बिकेंगे जो भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएएस) के मानक के अनुरूप होंगे. खिलौना विनिर्माता के लिए ‘आईएसआई’ मार्क का इस्तेमाल करने के लिए BIS से लाइसेंस लेना अनिवार्य है. और अभी तक बहुत ही कम चीनी कंपनियों ने ये लाइसेंस लिए हैं, क्योंकि इनके नियम काफी सख्त हैं।

सरकार ने Imported खिलौनों के consignments की Ports पर ही quality check करने की व्यवस्था कर दी है, sample में कुछ भी गलत होता है तो पूरा consignment या तो चीन वापस भेज दिया जाता है, या फिर Importer के खर्च पर उसे यहीं Dump कर दिया जाता है, मतलब ये है कि वो सामान बाजार में नही आता……इस वजह से Importers भी अब चीन से substandard खिलौने नही import कर रहे।

अब आते हैं Facts पर, कि आखिर इन कदमो से कितना बदलाव हुआ है।

1. 2018-19 में भारत ने चीन से $451.71 million के खिलौने import किये थे, वहीं in 2020-2021 में ये आंकड़ा गिर कर $206.11 million ही रह गया।
2. 2018 तक भारत मे करीब 75-80% खिलौने चीन के होते थे, लेकिन अब लोकल खिलौनों ने वापसी करते हुए 50% से ज्यादा market capture कर लिया है।
3. लगभग 8000 manufacturing units में 30 लाख लोगों को Direct और Indirect काम मिलना शुरू हो गया है
4. कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, NCR और अन्य कई जगह Toy Manufacturing हब बन गए हैं।
5. भारत का खिलौना एक्सपोर्ट 130 मिलियन USD हुआ 2019-20 में, जो जल्द ही 500 Million USD से ज्यादा होगा।
6. 2019-2020 तक भारत का खिलौना मार्केट करीब 1.2 बिलियन USD का था, जो 2025 तक 3 बिलियन USD का होने की संभावना है।

भारत के कुछ जाने माने खिलौना manufacturers हैं।
Brainsmith, Buddyz, Clever cubes, Shinsei, Funcorp.in, The Story merchants, Varnam Craft Collection, Win Magic Toys, Sunlord, The Maison Company India,Funskool, Afterschool Toys, Zephyr Toymakers, Aditi toys, Explorer, Peacock toys, Sunny Toys, Ekoplay, Skoodle, Centi Toys, Khanna Toys, and Tombo Play.

इसके अलावा दुनिया की सबसे बड़ी Toys Retail Chain ‘Hemleys’ भी अब Reliance ने खरीद ली है……तो अब हमारे पास Demand भी है, Manufacturing भी है और Retail Network भी है……आपको करना सिर्फ एक काम है, जब भी अपने बच्चों के लिए खिलौने लेने जाएं, सिर्फ भारतीय खिलौने ही खरीदें।

मेरे अनुमान के हिसाब से 2030 तक Global Toys demand का 5-7% भारत source करेगा…. फिलहाल 1% के आस पास है।

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