नितिन त्रिपाठी : विरासत टैक्स.. भारत अमेरिका में अंतर.. अवश्य
भारत में रहते हुवे लोगों की बहुत भ्रांतियाँ होती हैं कि अमेरिकन बहुत दुखी होते हैं कि उन्हें बुढ़ापे में अकेले रहना पड़ता है. हक़ीक़त में हर देश का अपना एक कल्चर होता है. अमेरिका देश का गठन एकमात्र सिद्धांत – पर्सनल फ्रीडम के लिये किया गया था. जीने से लेकर मरने तक इस व्यक्तिगत स्वतंत्रता को वहाँ फॉलो किया जाता है वहाँ के मूल अधिकार भी इसी सिद्धांत पर आधारित हैं. यहाँ तक कि बंदूक़ रखने का अधिकार वहाँ बिल ऑफ़ राइट में आता है क्योंकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अर्थ ही है कि अपनी रक्षा के लिए किसी पर निर्भर न होना पड़े. बुढ़ापे में भी वह अकेले फाइव स्टार कम्युनिटीज़ में रहना पसंद करते हैं सुरा सुंदरी के साथ मरते दम तक. लड़के बच्चे और परिवार का रायता नहीं चाहिए उन्हें.
चूँकि वहाँ तेरह चौदह साल का होने से लेकर अंतिम दिन तक अकेले का रिवाज है. मरते समय अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा सरकार को दान दे दीजिये, छोटा हिस्सा चर्च, स्कूल आदि को और फिर यदि मन हो तो थोड़ा बहुत बीबी बच्चों को. आफ्टर आल उनका आपके जीवन में विशेष रोल नहीं था.
यह है अमेरिका का कल्चर और उनके लिए परफ़ेक्ट है. नथिंग रॉंग.
भारत एक अलग देश है. यहाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता से ज्यादा वैल्यू समाज और परिवार को दी गई है. भारत स्वतः निर्मित राष्ट्र है, संविधान निर्मित नहीं. हज़ारों साल से भारत में परिवार, समाज की भूमिका है. आज़ादी के बाद भी आज भी यहाँ व्यक्ति बुजुर्ग होने पर घर परिवार समाज में रहना पसंद करता है, सबके सपनों का बुढ़ापा यही होता है. इसी लिये लोग संपत्ति एकत्रित करते हैं फिर उसे आने वाली पीढ़ी को देकर जाते हैं – अमेरिका में वह यह संपत्ति अपने ऊपर खर्च कर बची खुची सरकार में बाँट कर जाते हैं.
यह भारत का कल्चर है भारतीय सभ्यता – जहां परिवार और समाज की महत्ता है.
अब अकस्मात् राहुल गांधी को सोशलिस्ट आइडिया आता है कि उनकी सरकार आई तो सबकी संपत्ति का सर्वे करेंगे और जिनके पास संपत्ति नहीं है उन्हें बाँट देंगे. तो वहीं सैम पित्रोदा एक लेवल और ऊपर जाकर वकालत करते हैं कि व्यक्ति मरते समय अपने परिवार को अपनी संपत्ति न ट्रांसफ़र कर पाये उनकी सरकार आएगी तो ऐसे नियम बनायेंगे.
यस अमेरिका से आप ऐसी चीजें कॉपी कीजिये जो वाक़ई बेहतर हैं. वर्क एथिक्स, टेक्नोलॉजी, पारदर्शिता.
लेकिन इनकी जगह भारत की जो चीज अच्छी है परिवार, समाज उसे तोड़ने की वकालत करना वाक़ई भारतीयता के साथ अपराध है. ऐसे कार्य वही कर सकते हैं जिनका भारत से कोई दिली संबंध न हो.