इस कारण छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटों पर भाजपा की जीत..! ताबड़तोड़ बैठकें.. आदिवासी-दलित भी चिंतित…!
”2009 के अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यही इरादा भी जताया और 2014 के कांग्रेस के घोषणापत्र में भी इन्होंने साफ-साफ कहा था कि वह इस मामले को कभी भी छोड़ेंगे नहीं। मतलब धर्म के आधार पर आरक्षण देंगे। यदि दलितों का, आदिवासियों का आरक्षण कट करना पड़े तो करेंगे।”
◆ सिद्दरमैया सरकार ने अपने फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकार छीन लिए हैं।
◆ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने संकट
◆ विधानसभा चुनाव में जीत का प्रभाव भाजपा के लिए प्लस
◆ विधानसभा चुनाव में हार से निराश है कांग्रेस
कर्नाटक में पिछड़े वर्ग के आरक्षण की लूट को लेकर पूरे देश में पिछड़ा वर्ग के संगठनों में आक्रोश फैल गया है। संविधान बचाओ की बात लगातार करने वाली कांग्रेस बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान की भावना के विपरीत धर्म के आधार पर पूरे देश में आरक्षण लागू करना चाहती है और अपनी मंशा को अमलीजामा पहनाने के लिए अपने पार्टी के द्वारा शासित प्रदेश कर्नाटक से इसकी शुरुआत भी कर दी है।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न पिछड़ा वर्ग संगठनों में इसे लेकर आक्रोष व्याप्त है और ताबड़तोड़ विभिन्न संगठनों के द्वारा कांग्रेस के इस फैसले को लेकर लगातार बैठक की जा रही है। कांग्रेस समर्थित पिछड़े वर्ग के संगठन भी इस विषय पर भाजपा के साथ खड़े हुए हैं।
माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 52℅ है और कर्नाटक में पिछड़े वर्ग के आरक्षण का कोटा लूटने के कारण कांग्रेस से आक्रोशित पिछड़ा का वोट एकमुश्त भाजपा के खाते में जाएगा।
सभी मुसलमानों को पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत करने वाली कर्नाटक की नीति पर सवाल उठाते हुए, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव को उस रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं करने के लिए बुलाया जाएगा जिसके आधार पर मुसलमानों को धर्म के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया था।
अहीर ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार की ओबीसी आरक्षण नीति अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है। यह 26 अप्रैल को राज्य में लोकसभा के लिए पहले दौर के मतदान से कुछ दिन पहले आया है।
आयोग ने राज्य में संपूर्ण मुस्लिम समुदाय को पिछड़ी जाति के रूप में वर्गीकृत करने की आलोचना की. “श्रेणी II-बी के तहत मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत कोटा है, फिर उन्हें दो अन्य श्रेणियों के तहत ओबीसी कोटा क्यों दिया जाता है? अहीर ने बुधवार को कहा, कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तुत जवाब के संदर्भ में, यह स्पष्ट है कि वास्तविक अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकार छीने जा रहे हैं।
आयोग का कहना है कि 2023 में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 930 पीजी सीटों में दिए गए आरक्षण की जब जांच की गई, तो यह तथ्य सामने आया है। आयोग ने पाया कि 930 में से 150 सीट मुस्लिम वर्ग को आरक्षित की गई हैं, जो करीब 16% हैं। इनमें मुस्लिम वर्ग की उन जातियों को भी लाभ दिया गया है, जो आरक्षण के दायरे में नहीं आतीं।
अहीर ने कहा कि राज्य की नीति के कारण मुसलमानों को चार प्रतिशत से अधिक ओबीसी कोटा मिल रहा है और वास्तविक ओबीसी समुदाय अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।
इस कारण छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटों पर भाजपा की जीत हो सकती है…!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह देश में धर्म के आधार पर आरक्षण लागू करना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को अंबिकापुर में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ”जब कांग्रेस का घोषणापत्र आया तब से मैं कह रहा हूं कि कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है। जब संविधान बन रहा था तब काफी चर्चा और विचार के बाद बाबा साहब अंबेडकर के नेतृत्व में यह तय किया गया था कि भारत में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा। आरक्षण होगा तो मेरे दलित भाई बहनों के लिए, मेरे आदिवासी भाई बहनों के लिए होगा। लेकिन धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं होगा। लेकिन वोट बैंक की भूखी कांग्रेस ने कभी इन महापुरुषों की बातों की परवाह नहीं की, संविधान की पवित्रता की बात नहीं की, बाबा साहब अंबेडकर के शब्दों की परवाह नहीं की।”
धर्म के आधार पर 15 फीसदी आरक्षण
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया, ”कांग्रेस ने बरसों पहले आंध्र प्रदेश में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रयास किया था। कांग्रेस ने इसे पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई थी। इन लोगों ने धर्म के आधार पर 15 फीसदी आरक्षण की बात कही थी और यह भी कहा था कि एससी, एसटी, ओबीसी का कोटा है उसमें से कम करके धर्म के आधार पर कुछ लोगों को आरक्षण दिया जाए।” उन्होंने कहा, ”2009 के अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यही इरादा भी जताया और 2014 के कांग्रेस के घोषणापत्र में भी इन्होंने साफ-साफ कहा था कि वह इस मामले को कभी भी छोड़ेंगे नहीं। मतलब धर्म के आधार पर आरक्षण देंगे। यदि दलितों का, आदिवासियों का आरक्षण कट करना पड़े तो करेंगे।”