कौशल सिखौला : कच्चाथीबू द्वीप..कांग्रेस पर पहले ही तिब्बत गंवाने का बड़ा आरोप…

तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच स्थित कच्चाथीबू द्वीप को लेकर पचास साल बाद नया विवाद खड़ा हो गया है । यह विवाद तमिलनाडु भाजपा के उभरते हुए नेता अन्नामलाई द्वारा डाली गई आरटीआई के जवाब से उभरकर सामने आया है । इसमें पता चला है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यह द्वीप 1974 में श्रीलंका की प्रधानमंत्री श्रीमति भंडारनायके को भेंट स्वरूप दे दिया था । आरटीआई से खुलासा होते ही बीजेपी के हाथ एक और बड़ा मुद्दा लग गया।

चुनावी सभाओं में पीएम मोदी ने कच्चाथीबू को बार बार उठाकर कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया।तमिलनाडु में राज्य बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई ने कच्चाथीबु को चुनावी मुद्दा बनाकर डीएमके को परेशानी में डाल दिया है जो कांग्रेस के साथ के साथ गठबंधन में शामिल है।

कांग्रेस पार्टी पर पहले ही तिब्बत गंवाने का बड़ा आरोप चला आ रहा है । 1962 में चीन के साथ हिन्दी चीनी भाई भाई के ट्रैप में फंसकर युद्ध के दौरान भारत की 1 लाख 44 हजार हैक्टेयर भूमि गंवा चुके हैं । जाहिर है कच्चाथीबू पर विवाद के समय इतिहास फिर दौहराया जाएगा । समय चुनाव का है सो यह मुद्दा गरमाया रहेगा । चुनाव हों और छोटे बड़े नए नए सवाल न खड़े हों ऐसा हो नहीं सकता।

भारत एक विशाल देश है । कल्पना कीजिए , अखंड भारत कितना बड़ा रहा होगा ? आर्यावर्त भारतवर्ष तो और भी विराट था जो वर्तमान तेरह देशों तक फैला था । हमारी पीढ़ी ने 1947 का विभाजन तो नहीं देखा , तिब्बत का जाना भी अच्छी तरह याद नहीं । लेकिन 1962 की जंग किशोरावस्था में जरूर याद है । वैसे 1965 और 1971 की विजय और गलतियां दोनों याद हैं।

लेकिन पीओके तो हमें चाहिए । जिस लेह लद्दाख और अरुणाचल पर चीन नजरें गड़ाए बैठा है , वे हमारे अभिन्न अंग हैं । बड़े अंग भंग हुए अतीत में , आगे एक इंच भूमि भी न जाए , यह दायित्व आने वाले कर्णधारों को उठाते रहना पड़ेगा । भारतवर्ष के सम्मान और स्वाभिमान पर राजनीति नहीं होनी चाहिए । राजनीति को राष्ट्रीय प्रश्नों पर साथ खड़े होने की आदत अब डाल ही लेनी चाहिए।

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