भूपेंद्र सिंह : जातिवाद के नाम पर केवल ब्राह्मणों को कोसो लेकिन ऐसे मामले पर मुँह सिल लो…

तमिलनाडु में गावों में नल से जल पहुँचाने के एक मामले में सरकारी कर्मचारियों और ठेकेदारों को जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल तमिलनाडु के मनुर में तीन गाँवों के लिए एक ही सप्लाई लाइन बिछाई जा रही है ताकि सभी लोगों के घरों तक नल का जल पहुँचाया जा सके, लेकिन जब गाँव वालों को यह पता चला कि उसी पाइप लाइन से दलितों को भी पानी की सप्लाई की जाएगी तो तीनों गाँवों के ग़ैरदलितों ने एकजुट होकर इसके ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। अधिकारियों और ठेकेदार ने बार बार समझाने की कोशिश की कि जाति के आधार पर अलग अलग पाइप लाइन नहीं बिछाया जा सकता लेकिन गाँव वाले समझने को तैयार नहीं हुए। अंततः थक हारकर सरकार ने 200 सुरक्षाकर्मियों को वहाँ लगा दिया है जिनके निगरानी में कार्य को पुनः शुरू किया गया है।


पेरियार ने ब्राह्मणों के ख़िलाफ़ खूब हवा बनाई कि वह भेदभाव करते हैं, बाक़ी लोगों को दोयम दर्जे का मानते हैं। तमिलनाडु के कई स्थानों पर इन लोगों ने यह हाल किया कि ब्राह्मणों को अपनी मातृभूमि छोड़नी पड़ी लेकिन जातिवाद बदस्तूर जारी है। मज़ेदार बात यह है कि इस मामले में विरोध करने वाले लोग कृषक समुदाय के हैं, न कि ब्राह्मण।
जातिवाद भारत के प्रत्येक व्यक्ति के नस नस में भरा हुआ है। केवल ब्राह्मणों पर जातिवाद का आरोप लगाकर अपने जातिवाद के लिए ग्राउंड खोजना और उसको न्यायपूर्ण ठहराना धूर्तता है।

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प्रत्येक समाज के भीतर जातिवाद नामक मेंटल डिसऑर्डर भरा हुआ है। प्रत्येक समाज को इससे लड़ना होगा, अपना जातिवाद भी जातिवाद ही माना जाएगा, इसे भी समझना होगा। ऐसा नहीं चल सकता कि आप जातिवाद के नाम पर केवल ब्राह्मणों को कोसो लेकिन ऐसे मामले पर मुँह सिल लो।
ब्राह्मणों को भी समझना पड़ेगा कि अपने श्रेष्ठता साबित करने के मेंटल डिसऑर्डर से उनका कभी भला नहीं हो सकता सिवाय इसके कि बाक़ी समाज जमकर जातिवाद का फ़ायदा उठाए, इसे इंजॉय करे और जब इस मेंटल डिसऑर्डर के लिए गाली खाने की बारी आए तो आपको पंचिंग बैग की तरह यूज़ करे।
किसी भी जाति, व्यक्ति, समूह के भीतर श्रेष्ठता है तो वह उनके कर्मों से अपने आप झलकेगी आपका अपना दावा सिवाय आपके प्रति घृणा फैलाने के कुछ नहीं कर सकता।
सब मेरे हैं, मैं सबका हूँ, सब मेरे बराबर हैं, यह भाव प्रत्येक जाति, वर्ग, समाज के व्यक्ति में जाग्रत होना ज़रूरी है और इस भाव के जागरण से दूसरे से पहले आपका अपना भला होगा। अपना अहंकार नष्ट होगा। अपने को सुख शांति मिलेगी।

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