कौशल सिखौला : विशाल अस्पताल और मेडिकल कालेज , वह भी आयुष्मान कार्ड पर एकदम मुफ्त !

साथी हाथ बढ़ाना …
साथी हाथ बढ़ाना साथी रे ….
एक अकेला थक जाएगा
मिलकर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना ….
साथी हाथ बढ़ाना साथी रे ….

बड़ा मशहूर गीत है । 1957 में एक फिल्म आई थी नया दौर । दिलीप कुमार और वैजंतीमाला अभिनीत इस कालजयी फिल्म का यह गीत लिखा था बेहद उम्दा शायर साहिर लुधियानवी ने और संगीतबद्ध किया था अपने फन के माहिर ओपी नैय्यर ने । सुरों के बादशाह मुहम्मद रफ़ी और हृदयस्पर्शी खनकदार गीतों की मलिका आशा भोंसले द्वारा गाया गया यह आशावादी गीत आज भी उतना ही तरोताजा है , जितना आजादी मिलने के 10 बरस बाद 1957 में था ।

राष्ट्र के नवनिर्माण की जिजीविषा को दर्शाता यह गीत वास्तव में अमर गीत है , हमारे देश की निर्माण यात्रा का प्रतीक है । देश के भविष्य की आधारशिला रक्खे जाने के समय शब्दवेत्ता साहिर की एक एक पंक्ति दिल को झकझोर देती है । जब भी समय मिले , यू ट्यूब पर सुनिएगा जरूर ।

इस गीत की संपूर्ण चर्चा का मतलब है कि साहिर द्वारा लिखा गया यह गीत आज भी उतना ही प्रासंगिक है । सच कहें तो और भी अधिक । कल प्रधानमंत्री ने जब एक साथ 5 एम्स का लोकार्पण किया तो दिल को बड़ा सुकून मिला । दस साल के कार्यकाल में 10 एम्स ? इतने विशाल अस्पताल और मेडिकल कालेज , वह भी आयुष्मान कार्ड पर एकदम मुफ्त ! निःसंदेह , साथी हाथ बढ़ा रहे हैं , देश का नवोन्मेषण बड़ी तेजी से हो रहा है । यकीनन , देशवासी जब मिलकर खड़े होते हैं तो साहिर लिखते हैं , ओपी नैय्यर धुन बनाते है और आशा – रफी गाते हैं –
साथी हाथ बढ़ाना ….
साथी हाथ बढ़ाना साथी रे….

राजनीति अपनी जगह है , उसे अपनी राह पर चलने दीजिए । यह भारतवर्ष एक महान राष्ट्र है जिसमें ज्ञान विज्ञान का सर्वोत्तम भंडार भरा पड़ा है । यह बहस बेमानी है कि भारत पहले विश्वगुरु था अब पुनः विश्वगुरु बनाना है । जो देश सर्वे भवन्तु सुखिन और विश्वकल्याण की कामना लेकर चला वह दुनिया में अकेला भारत ही है ।

हम नहीं कहते कि हम विश्वगुरु हैं । पहले दुनिया कहती थी , अभी निर्माण के दूरगामी संकल्प को देखते हुए फिर से कहने लगी है । भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं , सबसे सहिष्णु और सबसे मानवतावादी राष्ट्र है । हम उस देश के वासी हैं जिस पर सबको सींचती हुई गंगा बहती है । कुछ राजनैतिक विषमताओं को छोड़ दें तो देश फिर गाएगा – साथी हाथ बढ़ाना ।

समरशेष है , हाथ बढ़ाइए और मिलकर गाइए –
साथी हाथ बढ़ाना ….
एक अकेला थक जाएगा
मिलकर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना साथी रे….

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