नमो भारत..भाग-01 : PM मोदी दायां हाथ हिलाकर बाएं हाथ से थप्पड़ मारते हैं…

1947 में देश स्वतंत्र हुआ 1947 का कुल योग मूलांक ज्योतिष के हिसाब से 3 होता है और 3 अंक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का कारक है 1947 से 2014 तक बृहस्पति की अशुभता के कारण देश में असंतुलन की स्थिति निर्मित रही।

 वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी का भारतीय राजनीति के केंद्र में प्रदार्पण हुआ। 2014 का कुल योग होता है 7 जो कि ज्योतिष में केतु ग्रह का कारक है। केतु का धड़ नही है। बिना धड़ के कुछ नहीं दिखता लेकिन केतु बिना धड़ के या कहें कि बिना आंख के वहां भी देख लेता है जो आंख वाले भी नहीं देख पाते। यही कारण है कि बीहड़ गांवों में भी पानी को लेकर किस तरह कैसी योजना बनी, इसकी चर्चा भाग-02 में करेंगे। केतु ज्योतिष में आध्यात्मिक के साथ ही ज्ञान, उन्नति का भी कारक ग्रह है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का युग भारत की सांस्कृतिक विरासतों को सहेजने के साथ ही वैश्विक परिदृश्य में भारत को एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित कर चुका है। PM मोदी दायां हाथ हिलाते हैं और बाएं हाथ से थप्पड़ जड़ देते हैं। यह सब केतु के अध्यात्म का ही प्रभाव है।

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इसका एक उदाहरण है संसद का विशेष सत्र..जब लोग अनुमान लगाते रहे और देश में चर्चा करते रहे कि जनसंख्या बिल, भारत नामकरण का बिल आदि आदि आएगा लेकिन आया क्या सबको पता है महिला आरक्षण बिल।

यह केतु ग्रह का ही प्रभाव है जो प्रधानमंत्री मोदी उत्तर दिशा की ओर देखते हैं, दक्षिण दिशा की ओर पग बढ़ाते हैं, पूर्व दिशा में काम करते हैं और परिणाम निकलता है पश्चिम दिशा में… मोदी ऐसा करके लोगों को सकते में डाल देते हैं, मुंह मे दही जमवा देते हैं तो कही कुछ बड़ा करके सबका आशीर्वाद, सद्भावनाएं बटोर ले जाते हैं।

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इसका दूसरा ताजा उदाहरण है मालदीव। मालदीव ने october 2023 में भारतीय सेना को अपने यहां से हटाने का निर्देश दिया और january के प्रथम सप्ताह में ही 4 कदम चहल कदमी कर मालदीव को पीछे धकेल दिया…वह भी तब उन्होंने अपने मुंह से एक भी शब्द मालदीव को लेकर नहीं निकाला था। मोदी ने सिद्ध कर दिया कि सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर वैश्विक परिदृश्य में वे ही हैं जिनके पीछे फिर विश्व सहित बॉलीवुड आ गया, वे जो करोड़ों रुपये लिए बिना एक second का विज्ञापन नहीं करते, वे फ्री में लक्ष्यद्वीप का विज्ञापन करने लगे।

यह केतु के अध्यात्म का ही प्रभाव है जिसने मोदी के एक आह्वान पर योग को वैश्विक परिदृश्य में स्थापित कर दिया।


सुप्रसिद्ध पत्रकार व साहित्यकार दयानंद पांडेय कहते हैं- “आप नरेंद्र मोदी से कितना भी असहमत हों पर इस एक बात से तो ज़रूर सहमत होंगे कि इस आदमी ने अकेले दम पर भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय के नाम पर चल रही गुंडई , भ्रष्टाचार पर ब्रेक लगा दिया और धर्मनिरपेक्षता की हिप्पोक्रेसी का भी बाजा बजा दिया।”
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सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक पंकज झा कहते हैं – “जो देश बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के अपने 81.35 करोड़ लोगों तक उनके घर पहुंचा कर पेट भर चावल-गेहूं निःशुल्क देता हो, उसे कथित हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान और श्रीलंका से भी नीचे रखने वाले लोग कैसे हैं, सोचिए जरा। हमारे ही देश को इस तरह नीचे दिखाये जाने पर प्रसन्नता से उछल पड़ते हैं। महीनों तक के लिये दारू-वारू का इंतजाम ऐसी किसी एक ही समाचार से कर लेते हैं।”

आप आप एक कुत्ता पालते हैं वह कुत्ता एक बार भौके है तो आपको खुशी होगी कि जागरूक कुत्ता है।
दिन में वह कुत्ता चार बार भौकें तो पड़ोसी पड़ोसियों को भी प्रसन्नता होगी कि चलो अब चोर का कोई भाई नहीं रहेगा, यह जागरूक कुत्ता सबको सचेत करेगा लेकिन वही कुत्ता अगर सुबह से शाम तक रात तक 24 घंटे बिना बात के लगातार भौंकता रहे..कूकू करता रहे तो पड़ोसी तो बाद में लात मारेंगे लेकिन उनसे पहले तो पालने वाला ही चार लात जमा कर बाहर का रास्ता दिखा देगा।

भारतीय राजनीति में विपक्ष की स्थिति इसी तरह की हो गई है। लगातार बात बिना बात के मात्र विरोध करने के लिए कुछ भी सड़े हुए अनर्गल प्रलाप या कहा जाए …’डी रोना ने भारतीय राजनीति के परिदृश्य में अप्रासंगिक कर दिया है।

यह भी कहा जा सकता है कि सियासी सियारों की लगातार हुंवा-हुंवा से उनके ऊपर का छदम आवरण हट गया है।


इस भौंकबाजी – हुंवा-हुंवा के परिपेक्ष्य में पीएम मोदी प्रतिउत्तर नहीं देते, किसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते बल्कि कुत्ता भौंके हजार हाथी चले बाजार की शैली में राष्ट्र विकास की दिशा में अपना काम करते जाते हैं।

कभी उनके चेहरे पर कोई थकान नहीं दिखाई देती, असीम ऊर्जा उनको अपने देशवासियों के अपार श्रद्धा-विश्वास के कारण मिलती है।
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विषय में “मोदीयुग भाग-01” की शृंखला में यह आरंभ है। आगे भी इस पर लेख आएंगे। आपके पास भी अगर कोई लेख हो तो हमसे veerchhattisgarh@gmail.com पर साझा कीजिए।

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