नमो भारत..भाग-01 : PM मोदी दायां हाथ हिलाकर बाएं हाथ से थप्पड़ मारते हैं…
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी का भारतीय राजनीति के केंद्र में प्रदार्पण हुआ। 2014 का कुल योग होता है 7 जो कि ज्योतिष में केतु ग्रह का कारक है। केतु का धड़ नही है। बिना धड़ के कुछ नहीं दिखता लेकिन केतु बिना धड़ के या कहें कि बिना आंख के वहां भी देख लेता है जो आंख वाले भी नहीं देख पाते। यही कारण है कि बीहड़ गांवों में भी पानी को लेकर किस तरह कैसी योजना बनी, इसकी चर्चा भाग-02 में करेंगे। केतु ज्योतिष में आध्यात्मिक के साथ ही ज्ञान, उन्नति का भी कारक ग्रह है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का युग भारत की सांस्कृतिक विरासतों को सहेजने के साथ ही वैश्विक परिदृश्य में भारत को एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित कर चुका है। PM मोदी दायां हाथ हिलाते हैं और बाएं हाथ से थप्पड़ जड़ देते हैं। यह सब केतु के अध्यात्म का ही प्रभाव है।
इसका एक उदाहरण है संसद का विशेष सत्र..जब लोग अनुमान लगाते रहे और देश में चर्चा करते रहे कि जनसंख्या बिल, भारत नामकरण का बिल आदि आदि आएगा लेकिन आया क्या सबको पता है महिला आरक्षण बिल।
यह केतु ग्रह का ही प्रभाव है जो प्रधानमंत्री मोदी उत्तर दिशा की ओर देखते हैं, दक्षिण दिशा की ओर पग बढ़ाते हैं, पूर्व दिशा में काम करते हैं और परिणाम निकलता है पश्चिम दिशा में… मोदी ऐसा करके लोगों को सकते में डाल देते हैं, मुंह मे दही जमवा देते हैं तो कही कुछ बड़ा करके सबका आशीर्वाद, सद्भावनाएं बटोर ले जाते हैं।
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इसका दूसरा ताजा उदाहरण है मालदीव। मालदीव ने october 2023 में भारतीय सेना को अपने यहां से हटाने का निर्देश दिया और january के प्रथम सप्ताह में ही 4 कदम चहल कदमी कर मालदीव को पीछे धकेल दिया…वह भी तब उन्होंने अपने मुंह से एक भी शब्द मालदीव को लेकर नहीं निकाला था। मोदी ने सिद्ध कर दिया कि सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर वैश्विक परिदृश्य में वे ही हैं जिनके पीछे फिर विश्व सहित बॉलीवुड आ गया, वे जो करोड़ों रुपये लिए बिना एक second का विज्ञापन नहीं करते, वे फ्री में लक्ष्यद्वीप का विज्ञापन करने लगे।
यह केतु के अध्यात्म का ही प्रभाव है जिसने मोदी के एक आह्वान पर योग को वैश्विक परिदृश्य में स्थापित कर दिया।
भारतीय राजनीति में विपक्ष की स्थिति इसी तरह की हो गई है। लगातार बात बिना बात के मात्र विरोध करने के लिए कुछ भी सड़े हुए अनर्गल प्रलाप या कहा जाए …’डी रोना ने भारतीय राजनीति के परिदृश्य में अप्रासंगिक कर दिया है।
यह भी कहा जा सकता है कि सियासी सियारों की लगातार हुंवा-हुंवा से उनके ऊपर का छदम आवरण हट गया है।