अवतरण अष्टमी व्रत 11 या 12
अक्सर पंचांग या कैलेण्डर में व्रतादि तिथियों के आगे*’स्मार्त’ व ‘वैष्णव’* लिखा देखा होगा।
सामान्य जन के मन में सदैव यह जिज्ञासा रहती है कि हम किस श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं।
आईये आज आपको इस संबंध में सामान्य सरल भाषा मे शास्त्रोक्त जानकारी देने का प्रयास करता हूँ।
‘स्मार्त’ श्रेणी के अन्तर्गत सभी गृहस्थ आते है जो वेद पुराणों का पाठ – अध्ययन करते है तथा पंच देवों के उपासक है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए जिस प्रकार अन्य देवी- देवताओं का पूजन, व्रत स्मरण करते हैं। उसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण का भी पूजन करते हैं।
*इन्हें प्रथम दिन के ही व्रत को करना चाहिये।*
और
वैष्णवों में वो भक्त आते हैं जिन्होंने अपना जीवन भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया है। वैष्णव जन , श्रीकृष्ण का पूजन भगवद्प्राप्ति के लिए करते हैं। इसके साथ साथ जिन लोगों ने वैष्णव गुरु से गुरुदीक्षा लेकर कण्ठी,माला धारण किया है। या किसी सम्प्रदाय के धर्माचार्यों से दीक्षा लेकर उस सम्प्रदाय के तिलक लगाते हों , अपने भुजा में शंख,चक्र अंकित करवाए हों , यति – साधु सन्यासी हो वे सभी ‘वैष्णव’ के अन्तर्गत आते हैं। इनके लिये ही दूसरे दिन का व्रत धारण करने का अधिकार है।
*स्मार्त जन अर्ध्दरात्री को जब अष्टमी तिथि पड रही हो तो उसी दिन जन्माष्टमी मनाते है । जबकी वैष्णव जन उदया तिथी को जन्माष्टमी मनाते हैं।*
अष्टमी तिथि 11 तारीख मंगलवार को सुबह 9.06 बजे आरम्भ होकर पूरा दिन व रात भर है।
रायपुर के प्राचीन सिद्धपीठ माँ महामाया देवी मंदिर पुरानी बस्ती में
11 तारीख मंगलवार की रात्रि में
*माँ महामाया देवी ( योगमाया ) का प्राकट्य उत्सव*
वर्तमान के लॉक डॉउन की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही मनाया जायेगा।
पण्डित मनोज शुक्ला महामाया मन्दिर रायपुर 7804922620